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डीजीपी ने 4 मोबाइल फॉरेंसिक वैन का किया शुभारंभ

करनाल/घरौंडा, 16 मई (हप्र/निस) पुलिस महानिदेशक शत्रुजीत कपूर ने शुक्रवार को एफएसएल मधुबन परिसर से चार अत्याधुनिक मोबाइल फॉरेंसिक वैन का विधिवत शुभारंभ किया। उन्होंने फॉरेंसिक मोबाइल वैन का निरीक्षण किया और उपस्थित अधिकारियों से इसके बारे में जानकारी प्राप्त...
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पुलिस महानिदेशक शत्रुजीत कपूर का शुक्रवार को एफएसएल मधुबन पहुंचने पर स्वागत करते अधिकारी। -हप्र
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करनाल/घरौंडा, 16 मई (हप्र/निस)

पुलिस महानिदेशक शत्रुजीत कपूर ने शुक्रवार को एफएसएल मधुबन परिसर से चार अत्याधुनिक मोबाइल फॉरेंसिक वैन का विधिवत शुभारंभ किया। उन्होंने फॉरेंसिक मोबाइल वैन का निरीक्षण किया और उपस्थित अधिकारियों से इसके बारे में जानकारी प्राप्त की। उन्होंने बताया कि इन वैनों को डीएनए सैंपलिंग, फिंगरप्रिंट कैप्चरिंग, डिजिटल डॉक्यूमेंटेशन, कैमरा रिकॉर्डिंग और प्राथमिक विश्लेषण की सुविधाओं से सुसज्जित किया गया है। ये वैन घटनास्थल पर पहुंचकर वैज्ञानिक तरीके से साक्ष्य एकत्र कर सकेंगी, जिससे परंपरागत देरी और संभावित साक्ष्य क्षरण की समस्या से छुटकारा मिलेगा।

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डीजीपी ने एफएसएल द्वारा विकसित अत्याधुनिक टेम्पर-प्रूफ पैकेजिंग और सीलिंग सामग्री का शुभारंभ किया। यह पैकेजिंग इस तरह डिज़ाइन की गई है कि एक बार सील होने के बाद यदि किसी ने उसके साथ छेड़छाड़ की, तो वह स्पष्ट रूप से पहचानी जा सकेगी। डीजीपी ने कहा कि ये दोनों पहल हरियाणा पुलिस की वैज्ञानिक दृष्टिकोण को अपनाने की प्रतिबद्धता का प्रमाण हैं। अब जांच प्रक्रिया न केवल तेज और निष्पक्ष होगी, बल्कि तकनीकी रूप से इतना प्रमाणिक होगी कि कोर्ट में साक्ष्य को चुनौती देना कठिन होगा।

न्यायिक समन्वय और कानूनी वैधता को मिला तकनीकी आधार

एफएसएल द्वारा तैयार रिपोर्ट्स अब डिजिटल हस्ताक्षर से प्रमाणित होती हैं। उनकी वैधता पोर्टल पर रीयल-टाइम वेरिफिकेशन से सुनिश्चित की जाती है। अदालतों में वैज्ञानिक साक्ष्यों को कानूनी रूप से और अधिक मजबूत तरीके से प्रस्तुत किया जा सकता है। यह व्यवस्था अधिक पारदर्शी और निर्णय में सहायक साबित हो रही है।

तकनीकी सशक्तीकरण में अभूतपूर्व सुधार

एफएसएल निदेशक ओ.पी. सिंह ने बताया कि अगस्त 2023 में डीजीपी हरियाणा के नेतृत्व में एफएसएल के सशक्तीकरण को प्राथमिकता दी गई। वैज्ञानिकों की संख्या 46 से बढ़ाकर 80 की गई। ट्रैकिया फॉरेंसिक केस मैनेजमेंट सिस्टम की कार्यप्रणाली को डिजिटल रूप से अपग्रेड किया गया है। अब केस फाइलिंग, रिसीविंग, रिपोर्ट जनरेशन, और फॉलोअप की पूरी प्रक्रिया पोर्टल पर ट्रैक की जा सकती है। इस बदलाव से न केवल समय की बचत हुई है, बल्कि मानवीय त्रुटियों की संभावना भी न्यूनतम हो गई है। इसके अलावा, प्राथमिकता वाले मामलों के लिए विशेष डिजिटल अनुरोध प्रणाली भी शुरू की गई है, जिससे संबंधित अधिकारी तुरंत पोर्टल के माध्यम से प्राथमिकता दर्ज कर सकते हैं और बिना किसी कागजी पत्राचार के केस को तेजी से निपटाया जा सकता है।

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