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कश्मीर में टेक्सटाइल उत्पाद की मांग घटी

महावीर गोयल/वाप्र पानीपत, 27 मई पहलगाम की घटना को बीते एक माह से अधिक का समय हो गया है, लेकिन कश्मीर में हैंडलूम उत्पाद की मांग नहीं निकल पा रही। इन दिनों कश्मीर में पानीपत के बने गलीचे (कारपेट) की...
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महावीर गोयल/वाप्र

पानीपत, 27 मई

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पहलगाम की घटना को बीते एक माह से अधिक का समय हो गया है, लेकिन कश्मीर में हैंडलूम उत्पाद की मांग नहीं निकल पा रही। इन दिनों कश्मीर में पानीपत के बने गलीचे (कारपेट) की अच्छी मांग निकलती थी। कारोबारियों को फुर्सत नहीं मिलती थी। 22 अप्रैल को आतंकवादी घटना के बाद से ही कश्मीर से मांग पर रोक लग गई है। पानीपत से करोड़ों रुपये का कारोबार सालाना कश्मीर से होता है। माल की आवाजाही रुकने से भुगतान पर भी संकट छाया हुआ है। कश्मीर से पाकिस्तान भी पानीपत का बना हैंडलूम उत्पाद जाता था। कारोबारियों का कहना है कि पहले से मंदी की मार से झेल रहे व्यापारी इन दिनों वित्त संकट से भी जूझ रहे हैं। अब लग रहा है कि कारोबारी दिवाली पर ही उठेगा। इधर, टेक्सटाइल उद्योग मंदे की चपेट में हैं, जबकि ग्रे कपड़े के रेट में 15 प्रतिशत तक की तेजी दर्ज की जा चुकी है। साउथ से ग्रे कपड़ा पानीपत मंगवाया जाता है। यहां प्रोसेस करके चद्दर आदि बनती है। कंबल का ऑफ सीजन चल रहा है। कारोबारियों ने बताया कि इन दिनों गर्मी में मंदा होता है, लेकिन इतना मंदा पहले कभी नहीं देखा। हैंडलूम बाजार में दुकानदार दिन में ग्राहकों की इंतजार में बैठे रहते हैं।

चीन के पॉलिएस्टर यार्न की आवक

बाजार में इन दिनों चीन से पॉलिएस्टर यार्न आना शुरू हो गया है। इंपोर्टर चीन से पोलियस्टर यार्न के कंटेनर लेकर आए हैं। जिसका असर यहां के उद्योगों पर पड़ना तय है। चीन से पॉलिएस्टर यार्न सस्ता आता है। इस घरेलू उद्योगों को नुकसान उठाना पड़ेगा। आने वाले कंबल के सीजन में इसका अधिक असर देखने को मिल सकता है। चीन का पॉलिएस्टर यार्न डंप होने से देश को नुकसान होगा। सरकार को इस ओर ध्यान देने होगा।

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