डीसीआरयूएसटी के शोधार्थी मुकेश ने बनाया मिट्टी का कूलर, मिला पेटेंट
हरेंद्र रापडिय़ा/हप्र/ सोनीपत, 6 मई : दीनबंधु छोटू राम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (डीसीआरयूएसटी), मुरथल के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के शोधार्थी मुकेश कुमार ने मिट्टी का एक ऐसा कूलर बनाया है, जिसमें बिजली की खपत सामान्य कूलर से आधी है। उनका दावा है कि अगर मिट्टी के कूलर को बड़े स्तर पर बनाया जाए तो इसकी कीमत सामान्य कूलर से आधी आएगी। भारत सरकार ने उनके द्वारा बनाए गए मिट्टी के कूलर को पेटेंट किया है।
डीसीआरयूएसटी विवि. के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग की अनुसंधान टीम ने मिट्टी आधारित कूलर विकसित कर दिया है। यह मिट्टी के बर्तन में पानी को ठंडा करने की अवधारणा या तरीके पर विकसित किया गया है, यानी वाष्पीकरण शीतलन। यह वही है, जो गर्मियों में पसीने के माध्यम से हमें ठंडा करता है। इतना ही नहीं मिट्टी के कूलर का डिजाइन कूलर बाजार के प्रचलित मॉडलों के अनुरूप रखा गया है ताकि उपयोगकर्ताओं के बीच स्वीकार्यता बनी रहे।
100 से अधिक प्रयास के बाद मिली सफलता
विश्वविद्यालय के मैकेनिकल इंजीनियरिंग के शोधार्थी मुकेश ने मिट्टी का कूलर बनाने के लिए पहले पहले दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात व पंजाब की मिट्टी के सैंपल एकत्रित किए। अंत में मिट्टी का कूलर बनाने के लिए हरियाणा के सोहना की मिट्टी को चुना। कूलर बनाने के लिए 100 बार से अधिक प्रयास के बाद मुकेश को सफलता मिल पाई। यह कूलर मेड इन इंडिया के सिद्धांत पर बनाया गया है।
हरियाणा की मिट्टी की आएगी खुशबू
शोधार्थी मुकेश ने बातचीत में बताया कि अगर मिट्टी के कूलर का बड़े स्तर पर निर्माण किया जाए तो इसकी कीमत सामान्य कूलर से आधी रहे जाएगी। इसके अलावा इस कूलर के चलने में बिजली की खपत सामान्य कूलर की अपेक्षा आधी आती है। इतना ही नहीं कूलर पूर्णतया पर्यावरण के अनुकूल है। जब यह कूलर चलता है तो इसमें हरियाणा की मिट्टी की खुशबू आती है।
16 डिग्री तक कम किया जा सकेगा तापमान
मुकेश ने बताया कि मिट्टी कूलर से तापमान को 16 डिग्री तक कम किया जा सकता है। एसी से निकलने वाली गैस हमारी ओजोन लेयर पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं, जबकि मिट्टी के कूलर से पर्यावरण पर किसी भी प्रकार का नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा। मुकेश कुमार ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रो. अमित शर्मा के निर्देशन में इसे तैयार किया है। मुकेश को मिट्टी का कूलर बनाने की प्रेरणा मिट्टी के पानी वाले घड़े से मिली है।
कुलपति प्रो. प्रकाश सिंह ने कहा कि किसी भी शिक्षण संस्थान की ख्याति वहां हो रहे शोध कार्यों से होती है। शोध किसी भी विश्वविद्यालय के लिए रीढ़ की हड्डी होता है।
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