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पराली जलाने पर लगा अंकुश, बन रहे बायो मास पैलेट

इंडस्ट्री के बॉयलरों, थर्मल प्लांटों में कोयले के साथ और ईंट भट्ठों में ईंधन के रूप में हो रहे प्रयोग
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पानीपत,15 जुलाई (हप्र)

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धान की पराली व गेहूं के फाने अकसर बहुत से किसानों द्वारा पहले अपने खेतों में ही जला दिये जाते थे। फसल अवशेष जलाने से वायु प्रदूषण फैलता है और जमीन में मित्र कीटों के मरने से भूमि की उर्वरा शक्ति कम होने से पैदावार घटती है। लेकिन सरकार द्वारा फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर किये जा रहे सराहनीय प्रयासों के चलते धान की पराली से आज पानीपत जिला में बायो मास ईंधन के रूप में पैलेट बनाने के करीब चार प्लांट लग चुके हैं और इन चारों प्लांटों में रोजाना 80-100 टन तक पैलेट का उत्पादन हो रहा है। इन पैलेटों का इंडस्ट्री के बॉयलरों, थर्मलों में कोयले के साथ और ईंट भट्ठों में जलाने के लिये प्रयोग होता है। यही पैलेट एक तरह से लकड़ी व कोयला का विकल्प बनते जा रहे हैं। पैलेट का जलाने में प्रयोग करने से पेड़ कटने से बचेंगे और पर्यावरण संतुलित रहेगा। इसलिये पहले प्रदूषण का कारण बनने वाली धान की पराली अब पर्यावरण संरक्षण में भी अहम योगदान देगी।

कृषि विभाग धान की पराली, गेहूं के फानें, ईंख की पत्ती आदि फसल अवशेष की गांठ बनाने के लिये बेलर सहित अन्य कृषि यंत्रों पर 50 फीसदी अनुदान देता है। इन्हीं फसल अवशेषों की गांठों से पैलेट बनते हैं और उनका प्रयोग बायो मास ईंधन के रूप में होता है।

निंबरी गांव में पेलेट प्लांट संचालक विरेंद्र पहलवान ने कहा कि फसल अवशेषों से पेलेट बनाना लकड़ी व कोयला का विकल्प है। सरकार को पैलेट बनाने वाले प्लांटों को सहुलियतें देनी चाहिये ताकि इसे बढावा मिल सके और पानीपत जिला सहित प्रदेश में पराली जलाने की एक भी घटना न हो सके।

पराली जलाने की घटनाएं शून्य करने का लक्ष्य

कृषि विभाग द्वारा फसल अवशेष प्रबंधन के लिये किये जा रहे कार्यों के चलते पिछले वर्ष प्रदेश के करीब 12 धान उत्पादक प्रमुख जिलों में पानीपत जिला में धान की पराली जलाने की सबसे कम 18 घटनाएं हुई थी। फसल अवशेष प्रबंधन के तहत धान की पराली का प्रबंधन करने पर जिला के करीब 5500 किसानों को उनकी 54 हजार एकड़ की पिछले सीजन में 5 करोड़ 40 लाख की प्रोत्साहन राशि मिली है। पानीपत में इस बार एक लाख 65 हजार एकड़ में धान की बिजाई का लक्ष्य है। कृषि विभाग के उप निदेशक डाॅ. आत्मा राम गोदारा व एएई सुधीर कुमार का कहना है कि जिला में इस बार पराली जलाने की घटनाओं को शून्य पर लाने के सभी प्रयास करेंगे।

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