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बॉलीवुड सिंगर अमित कुमार ने सुरों ने किया मंत्रमुग्ध

14वें राष्ट्रीय शिल्प मेले का शानदार समापन, खिले चेहरों से विदा हुए सभी
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मनीमाजरा स्थित कलाग्राम मेले में बॉलीवुड सिंगर अमित कुमार गीत पेश करते हुए। -विकी

एस.अग्निहोत्री/ हप्र

मनीमाजरा (चंडीगढ़), 8 दिसंबर

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14वें चंडीगढ़ राष्ट्रीय शिल्प मेले का रविवार को समापन हो गया। रविवार शाम को बॉलीवुड सिंगर अमित कुमार ने सभी को दीवाना बनाया। उन्होंने कई हिट गाने दिए हैं, मेले में उन्हें लाइव देखना और सुनना सभी के लिए खास रहा। हर कोई उन्हें अपने मोबाइल फोन के कैमरे में कैप्चर करने को बेताब था। उनके आने से पहले ही मंच के चारों ओर दर्शकों की भीड़ लगी रही। उन्होंने अपने हिट गीतों से सभी का मनोरंजन किया और झूमने पर मजबूर कर दिया। अमित ने अपने सुपरहिट गीत दिलबर मेरे... से आगाज किया तो हर कोई खड़े होकर उनका जोश बढ़ाने लगा। इसके बाद उन्होंने कह दो की तुम..., याद आ रही है... और ख्वाब हो तुम या कोई हकीकत... आदि गीत भी गाए। उनका हर शब्द लोगों को दीवाना बना रहा था और वे दिग्गज गायक की हौसला अफजाई करते रहे। सुरमई शाम के साथ इस सफल शिल्प मेले का समापन हुआ।

छुट्टी के दिन रही भारी भीड़

रविवार को छुट्टी का दिन था और कलाग्राम की ओर जाती हर सड़क लोगों से भरी थी। गाड़ियों की लंबी कतारें बता रही थी कि मेले में अंतिम दिन पहुंचने का मौका कोई गंवाना नहीं चाहता। सुबह तेज धूप के बाद दोपहर को बदले मौसम ने मेले में आ रहे लोगों पर कोई फर्क नहीं डाला और वे अपने परिजनों, दोस्तों के साथ मेले की सैर और अपने आशियाने के लिए कोई खूबसूरत आइटम खरीदने के लिए पहुंचे। अलग-अलग प्रदेशों से अपनी कला और संस्कृति को लेकर आए दुकानदार भी खुश नजर आए। पिछले साल से ज्यादा और रिकॉर्ड संख्या में कलाप्रेमी अपने देश के रंग देखने के लिए कलाग्राम लगातार पहुंचते रहे।

हाथ से बनी क्रॉकरी और शिल्प की रही भारी मांग

शिल्प मेले में हाथ से बनी चीजों की भारी मांग रही। यूपी के बुलंदशहर से आए हेमंत कुमार के पास खास तरह की क्रॉकरी थी, जिसे सिरेमिक से तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि ये बर्तन इस्तेमाल के लिए बेस्ट हैं और इनका इस्तेमाल माइक्रोवेव में भी कर सकते हैं। पिकल जार, फुल जार, बाउल सेट, क्वार्टर प्लेट, फुल प्लेट, मिल्क मग, फुल मग आदि की यहां काफी वेरायटी दिखी। उन्होंने कहा कि आज के मॉर्डन जमाने में फिर से लोग अपनी जड़ों से जुड़ रहे हैं। इस क्रॉकरी की मेले में काफी ज्यादा मांग रही। ये सभी बर्तन हाथ से तैयार होते हैं और इसे लंबे समय तक इस्तेमाल कर सकते हैं।

पहले बाल बेचते थे, अब तेल का कारोबार

कर्नाटक के मैसूर से लक्ष्मी आदिवासी तेल लेकर शिल्प मेले में आई हैं और उनके स्टॉल पर पहले दिन से ही भीड़ लगी रही। पहले वे बालों की सार-संभाल की सामग्री बेचती थी, लेकिन अब वे तेल बनाने का ही काम कर रहे हैं। मेले में सोशल मीडिया पर वायरल तेल के बारे में हर कोई जानकारी लेता रहा। लक्ष्मी ने कहा कि हम 9 साल से यहां आ रहे हैं और हर बार हमें शानदार रिस्पॉन्स मिलता है। लोगों ने इसके बारे में जानकारी हासिल की और खरीदा भी। उन्होंने कहा कि हम पीढ़ियों से इस तेल का काम कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर आने के बाद लोगों को इसकी जानकारी मिली और हमारे गांव भी यू-ट्यूबर इस तेल को देखने के लिए आए।

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