गीता में वर्णित अष्टकोसी तीर्थ यात्रा कुरुक्षेत्र में शुरू
कुरुक्षेत्र, 28 मार्च (हप्र)
गांव बाहरी के नाभिकमल मंदिर में स्वामी ज्ञानानंद, परमहंस ज्ञानेश्वर महाराज, महंत राम अवतार, महंत विशालदास सहित अन्य संतजनों ने पूजा अर्चना के साथ ही अष्टकोसी तीर्थ यात्रा का शुभारंभ किया। इस यात्रा में इस्कॉन व जीयो गीता की तरफ से भक्तजनों ने भजन कीर्तन किए और भजन कीर्तन कर पूरी यात्रा को भक्तिरस में भर दिया।
कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड व हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित कार्यक्रम में स्वामी ज्ञानानंद ने कहा कि प्रदेश सरकार के प्रयासों से कुरुक्षेत्र की पौराणिक अष्टकोसी यात्रा को शुरू करवाकर देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं और तीर्थ यात्रियों को एक अनोखी सौगात देने का काम किया है। इस अष्टकोसी यात्रा को बेहद पवित्र यात्रा माना जाता है और यह यात्रा कुरुक्षेत्र की पावन धरा से बहने वाली पवित्र सरस्वती नदी के किनारे से होकर गुजरती है। हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष धुमन सिंह किरमच ने कहा कि पवित्र सरस्वती नदी के किनारे सदियों से अष्टकोसी यात्रा की जाती थी लेकिन समय के चलते यह यात्रा बंद हो गई, अब बोर्ड और केडीबी के प्रयासों से यात्रा फिर से शुरू की गई है। इस यात्रा के दौरान ऐतिहासिक और पौराणिक तीर्थ स्थलों के दर्शन होते है। इस अष्टकोसी तीर्थ यात्रा का वर्णन पवित्र ग्रंथ गीता के 11वें अध्याय में भी किया गया है। यह यात्रा नाभिकमल तीर्थ से शुरू हुई और औजस घाट कार्तिक मंदिर,, स्थाण्वीश्वर महादेव, कुबेर तीर्थ, क्षीर सागर तीर्थ, दधीचि कुंड, खेड़ी मारकंडा, वृद्धा कन्या, रत्नुक यक्ष-बीड़ पिपली, पावन तीर्थ-सुंदरपुर, ओघटिया घाट पलवल, बाण गंगा दयालपुर, आपगा तीर्थ दयालपुर, भीष्म कुंड नरकतारी से होकर नाभिकमल तीर्थ पर सम्पन्न हुई।