प्राकृतिक खेती को मिशन बनाएं आर्य समाज के प्रचारक : आचार्य देवव्रत
कुरुक्षेत्र, 3 जून (हप्र)
आर्य समाज ने हमेशा समाज से कुरीतियों को दूर कर मानव उत्थान का कार्य किया है, विशेष तौर पर आर्य समाज के भजनोपदेशकों और प्रचारकों ने गांव-गांव, गली-गली जाकर लोगों को पाखंड, अंधविश्वास और छुआछूत जैसी विसंगतियों के खिलाफ जागरूक किया और समाज में सकारात्मक बदलाव के साक्षी बने।
आज फिर समाज को ऐसे ही बदलाव की जरूरत है, जो खेती के क्षेत्र में होना अति आवश्यक है। खेतों में प्रयोग हो रहे यूरिया, डीएपी और पेस्टीसाइड हमारे स्वास्थ्य को बीमार बना रहे हैं, जिससे केवल प्राकृतिक खेती ही हमें बचा सकती है। ये विचार गुजरात के राज्यपाल एवं गुरुकुल कुरुक्षेत्र के संरक्षक आचार्य देवव्रत ने भारतीय आर्य भजनोपदेशक परिषद के ‘वार्षिक अधिवेशन’ में मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किये। उन्होंने एक वीडियो के माध्यम से प्राकृतिक खेती के पूरे कान्सेप्ट को समझाया, साथ ही प्राकृतिक, रासायनिक और जैविक खेती के बीच मूल अन्तर को स्पष्ट किया। आचार्य ने कहा कि प्राकृतिक खेती से जहां गौ माता का संरक्षण होगा वहीं भूमिगत जलस्तर बढ़ेगा, पर्यावरण सुधरेगा और भूमि की उर्वरा शक्ति में वृद्धि होगी। इस अवसर पर आचार्य ने गुरुकुल के प्रधान राजकुमार गर्ग के साथ वयोवृद्ध भजनोपदेशक धनीराम बेधड़क, मास्टर हरी सिंह, बीर सिंह आर्य, अमर सिंह, पंडित सीताराम और संतोषबाला आर्या को 11 हजार रुपये, शॉल और श्रीफल देकर आर्यसमाज के प्रचार-प्रसार में उनके योगदान हेतु सम्मानित भी किया। आचार्य ने कहा कि आर्य समाज के प्रचारकों को हिन्दी आन्दोलन, गौ रक्षा आन्दोलन की तरह ही अब प्राकृतिक खेती मिशन को एक आन्दोलन के रूप में चलाना होगा ताकि देश का किसान रासायनिक खेती को छोड़कर गौ आधारित प्राकृतिक खेती की ओर लौटे।