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आजादी के 78 साल बाद स्वतंत्रता सेनानी के परिवार को सम्मान की उम्मीद

आजाद हिंद फौज के सिपाही थे शहीद दया राम झट्टीपुर
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रिकार्ड खोजने में परिजनों को करनी पड़ी मशक्कत

देश की आन-बान और शान के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले आजाद हिन्द फौज के महान स्वतंत्रता सेनानी दया राम वासी झट्टीपुर के परिवार को आजादी के 78 साल बाद स्वतंत्रता सेनानी के सम्मान से नवाजे जाने की उम्मीद जगी है। 80 वर्षों तक गुमनामी के अंधेरे में रहे स्वतंत्रता सेनानी दया राम के फौज संबंधी रिकार्ड को वर्षों की कड़ी मशक्कत से खोजकर उनके पौत्र अजमेर सिंह पुत्र शाम सिह ने उपायुक्त को सौंपा है।

समालखा हलके के गांव झट्टीपुर निवासी अजमेर सिंह ने बताया कि उनके दादा साधु राम के बड़े भाई दया राम पुत्र दुनी राम 1940 में ब्रिटिश इंडियन आर्मी में भर्ती हुए थे जिसने बाद मे 1942 में सुभाष चंद्र बोस द्वारा गठित आजाद हिन्द फौज में शामिल होकर देश के लिए बलिदान दिया।

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गांव के 102 वर्षीय बिशनदास भी बताते है कि दया राम फौज मे भर्ती हुए थे जो आज तक गांव में नहीं आए। अजमेर सिंह वासी झट्टीपुर बताते हैं कि चूंकि गांव में बाढ़ आने और घर (झोपड़ी) में आग लगने से परिवार के पास स्वतंत्रता आंदोलन के बलिदानी दया राम का आर्मी से संबंधित कोई रिकॉर्ड नहीं था। अजमेर सिंह ने बताया कि उसके पिता शाम सिंह ने स्वतंत्रता सेनानी दया राम के फौज संबंधी रिकॉर्ड को प्राप्त करने के लिए जिला उपायुक्त, सैनिक बोर्ड करनाल में भी पूछताछ की परन्तु कोई रास्ता नहीं दिखाई दिया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।

जिला उपायुक्त वीरेंद्र दहिया के आश्वासन के बाद अब परिवार को उम्मीद जागी है कि एक शहीद स्वतंत्रता सेनानी सम्मान जो परिवार को व सम्पूर्ण गांव झट्टीपुर को वर्षों पूर्व मिलना चाहिए था, अब आजादी के 78 वर्षों के बाद प्राप्त होगा।

कई जगह की छानबीन, लोगों से की पूछताछ

कई दशकों की कड़ी मेहनत के बाद उसने पंजाब व हरियाणा सरकार के अभिलेखागार विभाग, करनाल और पानीपत के डीसी, जिला सैनिक बोर्ड करनाल और पानीपत, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय भारत सरकार, अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग मंत्रालय, कृषि, पंचायती एवं ग्रामीण विकास मंत्रालय हरियाणा, कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी संग्रहालय, महर्षि दयानन्द यूनिवर्सिटी, पंजाब यूनिवर्सिटी पटियाला, हरियाणा इतिहास एवं संस्कृति अकादमी गुरुग्राम, हरियाणा इतिहासकार के. सी. यादव, राष्ट्रीय अभिलेखागार, आर्मी हेड ऑफ़िस, राजपूत राइफल रेजिमेंट रिकॉर्ड ऑफ़िस फतेहपुर यूपी, पंजाब रेजिमेंट रांची, पीएमओ, गृह मंत्रालय, संस्कृति मंत्रालय,रक्षा मंत्रालय, राष्ट्रपति भवन, संसद भवन, अध्यक्ष राज्य सभा, हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष, कानून एवं न्याय मंत्रालय भारत सरकार, मानव संसाधन मंत्रालय भारत सरकार, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्रालय भारत सरकार, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग,आईएनए कमेटी सचिव कैप्टन एस एस यादव, स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी संगठन दिल्ली,स्वतंत्रता सेनानी समिति अध्यक्ष ललती राम हरियाणा सरकार, स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी संगठन पानीपत, स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी संगठन सोनीपत , स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी संगठन हिसार, स्वतंत्रता सेनानी संगठन रुड़की उत्तराखंड (यूपी) आदि से व्यक्तिगत संपर्क करके लगभग हजार यात्राएं व कई लोगों से मिलने के बाद, सिर्फ एक नाम (दया राम ) से यह खोज लिया कि वह एक महान स्वतंत्रता सेनानी हुए हैं, जिसने 1942 में आईएनए आजाद हिन्द फौज में शामिल होकर अपने देश व अपने गांव के लिए बलिदान दिया है। बीते 80 साल में कई सरकारें आती जाती रहीं लेकिन गुमनाम शहीद व महान स्वतंत्रता सेनानी दया राम के परिवार को कोई जानकारी नहीं दी। अब खुद ही वर्षों के प्रयास के बाद ये शहीद दया राम का रिकॉर्ड खोज कर सरकार को सौंप दिया है।

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