ज्ञान ठाकुर/हप्र
शिमला, 11 जनवरी
सुप्रीम कोर्ट ने शिमला विकास योजना-2041 को मंजूरी दे दी है। अब शिमला नियोजन क्षेत्र में शामिल कुफरी, शोघी व घणाहट्टी साडा क्षेत्रों के निवासियों को भी राहत मिलेगी। साथ ही एनजीटी की पाबंदियों से भी लोगों को निजात मिलेगी। मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने एनजीटी के शिमला सहित प्रदेश के कुछ अन्य भागों में निर्माण पर पाबंदियों के 2017 के आदेशों को भी पलट दिया।
मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने शिमला प्लानिंग एरिया व राजधानी में निर्माण गतिविधियों को रेगुलेट करने के मकसद से बनाए डेवलपमेंट प्लान को प्रथम दृष्टया टिकाऊ करार दिया हालांकि अदालत ने पारिस्थितिकीय चिंताओं के साथ विकास को संतुलित करने की आवश्यकता को रेखांकित किया। जस्टिस भूषण आर. गवई की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने एनजीटी के पिछले आदेशों को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि राज्य सरकार और उसके अधिकारियों को एक विशिष्ट तरीके से विकास योजना बनाने का निर्देश देना ट्रिब्यूनल के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। जस्िटस गवई ने कहा कि लगता है कि नयी योजना में एनजीटी द्वारा पहले उठाई गई चिंताओं पर विचार किया गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अदालत का प्रथम दृष्टया विचार है कि 2041 विकास योजना टिकाऊ है, फिर भी यह पार्टियों के लिए उनकी योग्यता के आधार पर योजना के बारीक बिंदुओं को चुनौती देने के लिए खुला रहेगा।
2022 में मंजूर हुई थी योजना
शिमला विकास योजना को राज्य की तत्कालीन जयराम सरकार ने फरवरी 2022 में मंजूरी दी थी, लेकिन मई 2022 में एनजीटी के स्थगन आदेशों के कारण यह अमल में नहीं आ सकी। ट्रिब्यूनल ने इसे अवैध करार दिया और कहा कि यह योजना शिमला में बेतरतीब निर्माण को विनियमित करने के लिए 2017 में पारित पहले के आदेशों के विपरीत है।
जून 2023 में नयी योजना अधिसूचित
जून 2023 में राज्य सरकार ने नयी योजना अधिसूचित की। विजन-2041 नाम की इस योजना में 17 ग्रीन बेल्ट में कुछ प्रतिबंधों के साथ और मुख्य क्षेत्र में निर्माण प्रावधान शामिल थे जहां एनजीटी द्वारा निर्माण पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। मंजिलों की संख्या, पार्किंग और संरचनाओं की ऊंचाई आदि के संबंध में विस्तृत दिशानिर्देशों का भी उल्लेख किया गया था, जिसमें कहा गया था कि हरे क्षेत्रों में पेड़ों को काटने की अनुमति नहीं दी जाएगी।