केंद्र के कानून को लागू न करना संविधान और संसद का अपमान : हाटी समिति
हिमाचल प्रदेश के हाटी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा तो केंद्रीय कानून के तहत मिल चुका है, लेकिन हिमाचल में डेढ़ वर्ष बाद भी यह कानून लागू नहीं हो सका है। यह कानून हिमाचल में लागू नहीं हो पाया है। इस समुदाय के हितों की पैरवी करने वाले सबसे बड़े संगठन केंद्रीय हाटी समिति की शिमला इकाई ने इसे कानून और संसद का अपमान करार दिया है। समिति का कहना है कि राज्य सरकार की निष्क्रियता के चलते 40 हजार से अधिक छात्र-छात्राओं का भविष्य अधर में लटक गया है। अनुसूचित जनजाति प्रमाणपत्र न मिलने से छात्रवृत्ति और प्रतियोगी परीक्षाओं में चयनित अभ्यर्थी लाभ से वंचित हैं। इस मुद्दे को लेकर केंद्रीय हाटी समिति की शिमला इकाई ने बुधवार को पत्रकार वार्ता कर सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। समिति ने प्रदेश के राज्यपाल से हस्तक्षेप की गुहार लगाई है। समिति ने स्पष्ट किया कि वह किसी व्यक्ति विशेष के खिलाफ नहीं, बल्कि केवल समुदाय के हक की लड़ाई लड़ रही है। समिति ने फिर संकेत दिए कि यदि न्याय नहीं मिला तो हाटी समुदाय एक बार फिर देवी-देवताओं की शरण लेगा और आंदोलन का रुख करेगा।