होम स्टे और बीएंडबी मालिक अब खटखटाएंगे अदालत का दरवाजा
शिमला, 2 मार्च (हप्र)
हिमाचल प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार द्वारा बनाए गए नए नियम प्रदेश के होम स्टे और बीएंडबी संचालकों को रास नहीं आए हैं। ऐसे में राज्य के होम स्टे और बीएंडबी संचालक अदालत का रास्ता अपने का मन बना लिया है ताकि राज्य के खासकर ग्रामीण क्षेत्रों पर रोजगार का एक प्रमुख और बेहतर साधन बन चुके होमस्टे और बीएंडबी को भारी भरकम प्रस्तावित शुल्कों के बोझ तले दबकर बन्द होने से बचाया जा सके। सुक्खू सरकार ने होम स्टे नियम-2025 के ड्राफ्ट के तहत प्रदेश के सभी जिलों से होम स्टे और बीएंडबी चलाने वालों से सुझाव के साथ-साथ नीति की खामियों को लेकर आपत्तियां मांगी थी।
तीन जिलों शिमला, कुल्लू, चंबा से सर्वाधिक विरोध दर्ज किया गया है। इसके अतिरिक्त मंडी, कांगड़ा, सोलन, सिरमौर सहित अन्य जिलों से भी होम स्टे की नीति को लेकर लोग खुश नहीं है। 325 आपत्तियां राज्य पर्यटन एवं नागरिक उड्डयन विभाग के पास पहुंची है। जबकि लोगों ने सुझाव बहुत कम संख्या में भेजे हैं। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह के अलावा मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना, पर्यटन विभाग के अधिकारियों, शिमला नगर निगम सहित केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय के समक्ष भी हिमाचल प्रदेश होम स्टे नियम-2025 के ड्राफ्ट को लेकर लिखित तौर पर आपत्ति दर्ज करवाई गई हैं। पर्यटन एवं नागरिक उड्डयन विभाग की ओर से कुसुम्पटी स्थित मुख्यालय में आई आपत्तियों और सुझाव इस सप्ताह सचिवालय में प्रधान सचिव वित्त देवेश कुमार को भेजे जाएंगे। संचालकों ने कहा है कि प्रति वर्ष 12 हजार रुपये सालाना पंजीकरण फीस कम की जाए, वाणिज्यिक शुल्क न लगाया जाए, नवीनीकरण प्रक्रिया को सरल बनाया जाए और 20 लाख प्रति वर्ष से कम टर्न ओवर वाले लोगों के लिए अनिवार्य जीएसटी पंजीकरण की शर्त को हटाया जाए। इसके अलावा होम स्टे को बिजली-पानी घरेलू दरों पर पूर्ववर्ती रखा जाए।
‘होटेलियर्स को लाभ पहुंचाने के लिए लाई नीति’
हिमाचल होम स्टे एसोसिएशन की अध्यक्ष तनुजा धांटा का आरोप है कि सरकार होम स्टे नीति होटलियर्स को लाभ पहुंचाने के लिए लेकर आई है। एक-दाे कमरों के होम स्टे को पंजीकरण शुल्क 12 हजार चुकाने पड़ेंगे। लेकिन 20 कमरों के होटल मालिक को एक साल के लिए एक हजार नवीकरण शुल्क चुकाना है। इस नीति से साफ तौर पर समझ आ रहा है कि सरकार होटल मालिकों के दबाव में इस तरह की नीति लेकर आई है। शिमला बीएंडबी एंड होम स्टे एसोसिएशन के अध्यक्ष जीएम वनी का कहना है कि उन्हें सरकार की होम स्टे नीति बिलकुल भी स्वीकार्य नहीं है।
क्या कहते हैं संचालक
राज्य के अधिकांश जिलों से होम स्टे चलाने वाले लोगों ने सरकार की नई होम स्टे नीति को न्यायालय में चुनौती देने की तैयारी कर ली है। होम स्टे और बीएंडबी चलाने वालों का कहना है कि सरकार ने होटल उद्योग के दबाव में आकर नीति निर्धारण किया है। ऐसे में पंजीकरण शुल्क और नवीनीकरण शुल्क की दरों से होम स्टे बंद हो जाएंगे।