ऐतिहासिक तीन दिवसीय जिला स्तरीय सूही मेले का आगाज
एम एम डैनियल/निस
चंबा,10 अप्रैल
जिला चंबा का ऐतिहासिक तीन दिवसीय जिलास्तरीय सूही मेला रानी सुनयना देवी के चिन्ह को सूही मढ़ में मंदिर परिसर में स्थापित करने के साथ ही आरंभ हो गया। ऐतिहासिक पिंक पैलेस से रानी सुनयना के चिन्ह को राजपरिवार की कन्या व नगर परिषद चंबा अध्यक्ष नीलम नैय्यर की अगुवाई में भव्य शोभायात्रा के साथ सूहीमढ़ स्थल स्थित मंदिर ले जाया गया। जबकि शोभायात्रा में सदर विधायक नीरज नैयर ने बतौर मुख्यातिथि के रूप में शिरकत की। पूर्व शिक्षा मंत्री आशा कुमारी ने विशेष अतिथि के रूप में उपस्थिति दर्ज करवाई। सूही मढ़ में माता के चिन्ह की स्थापना के साथ ही श्रद्धालुओं का मंदिर में पहुंचने का सिलसिला आरंभ हो गया है।
गौर हो कि तीन दिनों तक माता के चिन्ह को श्रद्धालुओं के दर्शनों हेतु सूहीमढ़ व मलूण/बलोटा गांव स्थित थानों में रखा जाएगा। जहां सूही माता के प्रति आस्था रखने वाले शहर के विभिन्न समुदाय के लोग माता के दरबार में हाजिरी भरकर पूजा-अर्चना करेंगे। सूही मेले के पहले दिन मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए सैंकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं उपस्थिति दर्ज करवाई। उधर, सूहीमढ़ में गद्दी समुदाय की महिलाओं का घुरेही नृत्य मेले का मुख्य आकर्षण केंद्र बना रहा। शुक्रवार को सूहीमढ़ से रानी सुनयना देवी की शोभायात्रा अपने अगले पड़ाव मलूण यानि बलिदान स्थल/समाधि स्थल के लिए विधिवद्व पूजा-अर्चना के पश्चात रवाना होगी। जबकि शनिवार को मलूण में बड़ी जातर एवं पूजा-अर्चना के पश्चात रानी सुनयना का चिन्ह पुन: विधिवत् रूप से शोभायात्रा के रूप में पिंक पैलेस बनगोटू सांयकाल वापिस पहुंचने सहित ही मेला समाप्त हो जाएगा।मेला शोभायात्रा में बतौर मुख्यातिथि के रूप में शिरकत करने पहुंचे सदर विधायक नीरज नैयर ने कहा कि चंबा के ऐतिहासिक सूही मेला पर्व को राज्य सरकार द्वारा जिलास्तरीय घोषित करने के लिए वह सरकार का आभार व्यक्त करते हैं। नगर परिषद चंबा अध्यक्ष नीलम नैय्यर ने सूही मेला पर्व की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि मेले में नप द्वारा स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा है।
क्यों मनाया जाता है सूही मेला पर्व
हिमाचल प्रदेश के जिला चंबा में इस मेले में केवल महिलाएं और बच्चे ही उपस्थिति दर्ज करवाते हैं। चंबा की रानी सुनयना के बलिदान की गाथा समेटे इस मेले में पुरुषों का दूर-दूर तक कोई नाता नहीं है। छठी शताब्दी में चंबा की रानी सुनयना प्रजा की प्यास बुझाने की खातिर जिदा जमीन में दफन हो गई थीं। इसका उल्लेख साहिल वर्मन के पुत्र युगाकर वर्मन के एक ताम्रलेख में भी मिलता है। रानी की स्मृति में नगर के ऊपर बहती कूहल के किनारे समाधि बनी है। इस समाधि पर रानी की स्मृति में एक पत्थर की प्रतिमा विराजमान है, जिसे आज भी चंबा के लोग विशेषकर औरतें अत्यन्त श्रद्धा से पूजती हैं। प्रति वर्ष रानी की याद में 15 चैत्र से पहली बैशाखी तक मेले का आयोजन किया जाता है जिसे सूही मेला कहते हैं।