शिमला, 19 दिसंबर(निस)
हिमाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था कर्ज के सहारे चल रही है। प्रदेश की जय राम ठाकुर सरकार ने सत्ता में आने के बाद तीन सालों में 16241 करोड़ का ऋण लिया है। इस अवधि में सरकार ने 7517 करोड़ के ऋणों का भुगतान भी किया। ऋण की राशि के भुगतान के साथ-साथ ब्याज के भुगतान पर भी सरकार ने करोड़ों की रकम खर्च की है। 2019-20 से 2021-22 तक सरकारी खजाने पर ब्याज की अदायगियों का ही करीब 12 हजार करोड़ का बोझ पड़ा है।
राजस्व प्राप्तियां कम होने व खर्चे अधिक होने की वजह से सरकारें कर्ज लेती रही हैं। राजस्व प्राप्तियों में केंद्रीय करों में हिस्सेदारी तथा केंद्र सरकार से मिलने वाली अनुदान राशि का हिस्सा ही 60 फीसद के करीब रहता है। खजाने पर वेतन व पेंशन को भारी भरकम बोझ है। लिहाजा विकास कार्यों को जारी रखने व केंद्रीय फ्लैगशिप कार्यक्रमों में अपने हिस्से की रकम डालने के एवज सरकार को कर्ज लेने पड़ रहे हैं। विधान सभा के शीत कालीन सत्र में पेश की गई कैग रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश सरकार 2019-20 में 62 हजार करोड़ से अधिक के कर्ज के बोझ तले दबी थी। वर्तमान में खजाने पर कर्ज का बोझ 64 हजार करोड़ के करीब है। सरकार ने साल 2019-20 में 7404.89 करोड़ का कर्ज लिया। 2020-21 में 7294.87 करोड़ तथा बीते 15 नवंबर तक 2021-22 में सरकार ने करीब 1542 करोड़ का ऋण लिया। इस तरह ऋण की यह रकम 16241 करोड़ से अधिक है। इसी अवधि में सरकार ने 7518 करोड़ के ऋण की अदायगी भी की। कर्ज की रकम से ऋण की अदायगी के बाद सरकार ने विशुद्ध तौर पर 8724 करोड़ का ऋण तीन सालों में उठाया है।