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कड़छम-वांगतू जलविद्युत परियोजना से हिमाचल को मिलेंगे और 150 करोड़

सुक्खू सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जीती कानूनी जंग
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रॉयल्टी विवाद की पृष्ठभूमि 1045 कड़छम-वांगतू परियोजना सितंबर 2011 से चालू है। वर्ष 1999 में सरकार और कंपनी जेएसडब्लू एनर्जी के बीच हुए समझौते के तहत पहले 12 वर्षों तक 12 और उसके बाद 18 फीसद रॉयल्टी तय की गई थी। जब 12 वर्ष पूरे होने के बाद सितंबर 2023 से कंपनी को अतिरिक्त रॉयल्टी देनी थी, तो उसने इससे इनकार कर दिया और मामला हाईकोर्ट पहुंचा। जहां सरकार को झटका लगा। लेकिन राज्य सरकार ने हार नहीं मानी और सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर अंतिम जीत हासिल की।
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मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में हिमाचल प्रदेश सरकार को एक और बड़ी कानूनी जीत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने बहुप्रतीक्षित कड़छम-वांगतू जलविद्युत परियोजना पर राज्य सरकार के पक्ष में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए रॉयल्टी को 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 18 प्रतिशत करने का आदेश दिया है। यह निर्णय राज्य की आर्थिक स्थिति के लिए मील का पत्थर साबित होगा। सीएम सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार हिमाचल की आर्थिकी को मजबूती प्रदान करने की कोशिश में जुटी है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से न केवल हिमाचल प्रदेश को हर साल 150 करोड़ रुपए की अतिरिक्त आय होगी बल्कि भविष्य में ऐसी अन्य परियोजनाओं से भी लगभग 250 करोड़ रुपए सालाना की अतिरिक्त आमदनी संभावित है। इस प्रकरण में मुख्यमंत्री सुक्खू ने व्यक्तिगत रुचि लेकर इसे राज्य के अधिकार और संसाधनों की रक्षा के रूप में देखा। सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मई 2024 के आदेश को पलट दिया, जिसमें केवल 12 प्रतिशत रॉयल्टी को मान्यता दी गई थी। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, प्राग त्रिपाठी, महाधिवक्ता अनूप कुमार रतन और अतिरिक्त महाधिवक्ता बैभव श्रीवास्तव ने राज्य की ओर से सुप्रीम कोर्ट में मामले की प्रभावी पैरवी की।

रॉयल्टी विवाद की पृष्ठभूमि

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1045 कड़छम-वांगतू परियोजना सितंबर 2011 से चालू है। वर्ष 1999 में सरकार और कंपनी जेएसडब्लू एनर्जी के बीच हुए समझौते के तहत पहले 12 वर्षों तक 12 और उसके बाद 18 फीसद रॉयल्टी तय की गई थी। जब 12 वर्ष पूरे होने के बाद सितंबर 2023 से कंपनी को अतिरिक्त रॉयल्टी देनी थी, तो उसने इससे इनकार कर दिया और मामला हाईकोर्ट पहुंचा। जहां सरकार को झटका लगा। लेकिन राज्य सरकार ने हार नहीं मानी और सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर अंतिम जीत हासिल की।

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