बादल फटने की घटनाओं के अध्ययन के लिए शिमला पहुंची केंद्रीय टीम
प्रदेश में लगातार बादल फटने की घटनाओं और भारी बारिश से हुई तबाही का अध्ययन करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा गठित पांच सदस्यीय विशेषज्ञ टीम बुधवार को हिमाचल पहुंच गई।
केंद्रीय दल 24 जुलाई को शिमला में आला अधिकारियों के साथ बैठक करेगी।
25 व 26 जुलाई को आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर टीम दिल्ली लौट जाएगी। दिल्ली पहुंच कर यह टीम एक सप्ताह में केंद्रीय गृह मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। रिपोर्ट के आधार पर भविष्य में हिमाचल जैसे पर्वतीय राज्यों के लिए आपदा प्रबंधन और पूर्वानुमान प्रणाली को लेकर रणनीति तैयार की जाएगी।गृह मंत्री अमित शाह के निर्देश पर केंद्रीय टीम गठित की गई है और इसका नेतृत्व कर्नल केपी सिंह कर रहे हैं।
टीम में शामिल अन्य विशेषज्ञों में सीएसआईआर रुड़की के चीफ साइंटिस्ट डॉ. एसके नेगी, मणिपुर विश्वविद्यालय के रिटायर्ड भूवैज्ञानिक अरुण कुमार, आईआईटीएम पुणे की सुष्मिता और आईआईटी इंदौर की सिविल इंजीनियर नीलिमा शामिल हैं।
आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करेगी टीम
टीम 25 जुलाई को मंडी जिले का दौरा करेगी, जो इस बार की बारिश में सबसे अधिक प्रभावित रहा है। मंडी जिले के सराज विधानसभा क्षेत्र जो नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर का निर्वाचन क्षेत्र है, में भी भारी नुकसान हुआ है। इसलिए टीम वहां जाकर स्थिति का स्थलीय आकलन करेगी। 26 जुलाई को टीम उन क्षेत्रों में जाएगी जहां पहले भी बादल फटने की घटनाएं सामने आई हैं। यहां मौसमीय, भौगोलिक और मानवजनित कारणों का बारीकी से अध्ययन किया जाएगा। टीम यह भी जांच करेगी कि क्या विकास गतिविधियां, अवैज्ञानिक निर्माण या पेड़ों की कटाई जैसी गतिविधियां इस तरह की आपदाओं को बढ़ावा दे रही हैं। हर पहलू की वैज्ञानिक और तकनीकी दृष्टिकोण से जांच की जाएगी।
विशेष राहत पैकेज जारी करे सरकार : जयराम
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा है कि प्रदेश में आपदा हुए 24 दिन बीत गए हैं और सरकार की तरफ से विशेष राहत पैकेज की घोषणा नहीं हुई है। इतने दिनों के बाद भी सरकार की तरफ से विशेष राहत पैकेज की घोषणा न करना हैरान करने वाला है। उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि आपदा प्रभावित लोगों के लिए अविलंब विशेष राहत पैकेज जारी करें। जयराम ने कहा कि आपदा प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्यों में अपेक्षित तेजी नहीं लाई जा सकी है। सड़के बंद हैं। सेब का सीजन शुरू हो गया है। आपदा से जो भी कृषि बागवानी और फूलों की खेती बच गई है वह भी सड़कें न होने के कारण बाज़ार नहीं पहुंचने से नष्ट हो रही है। बहुत सी जगहों पर अभी बिजली की सुविधा बहाल नहीं हुई है।