पुरुषोत्तम शर्मा/हप्र
सोनीपत, 11 दिसंबर
कुंडली बॉर्डर पर शुक्रवार को हरियाणवी छटा बिखरी। ग्रामीण इलाके से महिलाएं दामण-कुर्ते के ऊपर चुंदड़ी ओढ़ कर पहुंची, तो हर कोई उनकी ओर ही निहारता रह गया। अब तक तो पंजाबियों की शान पग ही बॉर्डर पर चमक रही थी, शुक्रवार को यह नजारा बदला और बार्डर पर हरियाणा की भीड़ अलग नजर आई। महिलाओं ने धरना दिया और जमकर नारेबाजी की। सरकार को चेताते हुए इनका कहना था कि जब वह खेत और घर साथ में संभाल सकती हैं, तो धरना क्यों नहीं।
साथ ही सरकार से गुजारिश की कि जिद छोड़कर किसानों के हित में सरकार कानून वापस ले। इसके बाद जो आपत्तियां इनको दूर करके नये सिरे से कानून बनाए और किसानों को इसमें शामिल करें ताकि यह विवाद ही न हो। उन्होंने कहा कि आंदोलन में वह बराबर की हिस्सेदारी रखेंगी और तब तक वापस नहीं हटेंगी, जब तक कानून रद्द नहीं होते हैं। शुक्रवार को हरियाणवी रंग जमा, जब सोनीपत की दहिया खाप के मर्द व औरतें ट्रालियों में भरकर यहां पहुंचे।
दहिया खाप के पूर्व कार्यवाहक प्रधान विजेंद्र उर्फ ढिल्लू दहिया खाप के बैनर तले किसान आंदोलन में व्यापक समर्थन दिलाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इस पर ट्रक यूनियन प्रधान दीपक दहिया व पूर्व जिला पार्षद चांद सिसाना की टीम द्वरा सिंघु बॉर्डर पर दहिया खाप के द्वारा चलाए जा रहे धरने पर प्रदेश के किसानों के लिए लंगर की व्यवस्था की गई है।
जग्गी नम्बरदार ने गांव सिसाना से ट्रैक्टर व ट्रालियों में महिलाओं और पुरुषों को धरनास्थल पर भेजने के लिए जागरूक किया। इस दौरान जग्गी नम्बरदार, किसान नेता जिंदर माल, दहिया खाप प्रधान सुरेन्द्र बानिया, महिलाओं में बबिता, होशियारी, संतरा, अनीता और बीजो आदि के नेतृत्व में किसान कुंडली बार्डर पर पहुंचे। कुंडली बार्डर सर्वधर्म सदभाव भी नजर आता है। मुस्लिम समाज के लोग लंगर तैयार करने में हाथ बंटा रहे हैं। यहां मौजूद मोबिन, फकरूद्दीन, नवाब सिद्दीकी, अरशद ने बताया कि वे लंगर के समय सेवा में जुट जाते हैं, तो बाकी समय में सभा में मौजूद रहते हैं।
पंजाब से साजो सामान हरियाणा से दूध-छाछ
कृषि कानूनों को रद्द कराने की मांग को लेकर दो सप्ताह से कुंडली बॉर्डर पर डटे किसानों की मदद के लिए रोजाना किसान पंजाब तक आवागमन कर रहे हैं। पंजाब से लगातार रजाई, गद्दे, वॉटरप्रूफ टैंट व सर्दी से बचने के लिए गर्म कपड़े यहां पर पहुंचाए जा रहे हैं, तो हरियाणा के अलग-अलग गांवों से लोग खाने-पीने का सामान लेकर पहुंच रहे हैं। यह लोग न केवल आवश्यक वस्तुएं यहां लेकर आ रहे है, बल्कि किसानों के समर्थन में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। सोनीपत के गांव सेवली से ग्रामीण पुष्कर ने बताया कि वह रोजाना 800-900 लीटर छाछ, 500 लीटर दूध व आरओ का पानी ट्रालियों में लेकर पहुंचते हैं और किसानों को वितरित करते हैं। दूसरी ओर,बार्डर पर बुजुर्गों के लिए फुट मसाजर का इंतजाम किया गया है ताकि बुजुर्ग किसानों की मसाज के जरिये थकावट दूर की जा सके और वह सुबह फिर से आंदोलन के लिए खुद को तरोताजा महसूस करें।
धरने पर लहराए थे शरजील इमाम के पोस्टर
झज्जर (हप्र) : टीकरी बॉर्डर के नजदीक बहादुरगढ़ क्षेत्र में बीते रोज मानवाधिकार दिवस पर आंदोलनकारियों ने देशभक्ति गीतों के बीच शरजील इमाम के पोस्टर लहराए थे, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। वीडियो के वायरल होने के बाद भाकियू के सदस्य जोगेन्द्र सिंह शुक्रवार को मीडिया के सामने आए। उन्होंने कहा कि मानवधिकार दिवस पर सरकार के सताए लोगों की आवाज हमेशा उठाई जाती रही है। यही नहीं ये वे लोग हैं, जिन्होंने किसान मजदूर की आवाज को हमेशा उठाया और ऐसे मौकों पर किसानों का फर्ज बनता है कि ऐसे लोगों की आवाज को मंच से बुलंद करें।
टीकरी बॉर्डर युवतियां, बच्चे भी मोर्चे पर डटे
रोहित विद्यार्थी/निस
बहादुरगढ़, 11 दिसंबर
आंदोलनरत किसानों व सरकार के बीच गतिरोध जारी है। सरकार के प्रस्तावों को खारिज करते हुए किसानों ने आंदोलन को और तेज करने का फैसला लिया है। ऐसे में पंजाब, हरियाणा समेत कई अन्य जिलों से किसान एकजुट होकर दिल्ली सीमा पर अपनी मांगों को लेकर डटकर अड़े हुए हैं। बहादुरगढ़ के साथ लगते दिल्ली के टीकरी बॉर्डर पर किसानों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।
किसानों के साथ महिलाएं, बच्चें व लड़कियां भी खूब बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते हुए अपनी आवाज बुलंद करने का काम कर रही हैं। लड़कियां पोस्टर, फ्लैक्स के माध्यम से सरकार के खिलाफ अपना कड़ा रोष भी जता रही है। सुबह से लेकर शाम तक किसान संगठनों से जुड़े पदाधिकारी, सदस्य स्टेज के माध्यम से अपने आंदोलन को तेज करने पर जोर दे रहे हैं।
हरियाणा से भी अनेक महिलाएं उन्हें अपना समर्थन देने के लिए भी पहुंच रही हैं। टीकरी बॉर्डर पर प्रमुख धरनास्थल है और यहां पर बड़ी संख्या में किसानों का जमावड़ा लगा हुआ है। साथ में बहादुरगढ़ बाईपास के अलावा शहर के बीच से गुजर रहे दिल्ली-रोहतक रोड पर भी किसानों के जत्थे रूके हुए हैं। दिनभर टीकरी बॉर्डर से लेकर अन्य जगहों पर किसान सभाओं का आयोजन होता रहता है। जिन किसानों को घरों पर या फिर खेतों में कोई आवश्यक कार्य है उनमें से काफी किसान अपने घरों का रुख कर रहे हैं तो काफी किसान नए जत्थों के साथ ट्रैक्टर-ट्रालियों, कारों व ट्रेनों के माध्यम से आ भी रहे हैं। धरने पर बैठे किसानों का कहना है सरकार ने हठधर्मिता अपना रखी है। यदि सरकार अपनी जिद्द पर अड़ी है तो वो भी तीनों काले कृषि कानून रद्द करवाकर ही अपने घर जाएंगे। आंदोलन कितना भी लंब चले उन्हें परवाह नहीं है।
एक और किसान की मौत
झज्जर (ट्रिन्यू) : तीन कृषि आंदोलनों को लेकर पिछले काफी दिनों से धरने पर किसान बैठे हैं। बृहस्पतिवार को एक किसान को हार्ट अटैक पड़ा और उसकी मौत हो गई। किसान की पहचान पंजाब के संगरूर के धुरी गांव के किसान लाल (65) के तौर पर हुई है। टीकरी बाॅर्डर पर अब तक 6 आंदोलनकारी किसानों की मौत हो चुकी है। सिविल अस्पताल के डाक्टर ने बताया कि किसान कृष्ण लाल ने दम तोड़ दिया था। उसके शव को परिवारवालों को सौंप दिया गया है। मामले में सिटी पुलिस स्टेशन के एसएचओ सुनील कुमार ने बताया कि कृष्ण लाल बहादुरगढ़ के बस स्टैंड पर रह रहा था। किसान आंदोलन में अब तक 9 किसान जान गंवा चुके हैं। इसमें 3 की मौत कुंडली और 6 की मौत टीकरी बॉर्डर पर धरने के दौरान हुई।