पिता-परिवार का साथ मिला तो खेल शक्ति बनीं बेटियां
आनंद भार्गव/ निस सिरसा, 22 अक्तूबर एक पिता के खेल के किस्सों ने बेटी में खेलने का जुनून पैदा किया। एक बेटी ने खिलाड़ी बनकर पिता के सपनों को हकीकत में बदला। वहीं, एक साधारण किसान पिता ने खेल का...
आनंद भार्गव/ निस
सिरसा, 22 अक्तूबर
एक पिता के खेल के किस्सों ने बेटी में खेलने का जुनून पैदा किया। एक बेटी ने खिलाड़ी बनकर पिता के सपनों को हकीकत में बदला। वहीं, एक साधारण किसान पिता ने खेल का महंगा सामान जुटाकर बेटी को आगे बढ़ने का अवसर दिया। पिता-परिवार का साथ पाकर खेल की दुनिया में देश-प्रदेश का नाम चमकाने वाली सिरसा जिले की इन बेटियों ने हॉकी व रोलर स्केटिंग हॉकी में गोल बचाने से लेकर गोल दागने तक और तीरंदाजी में अपनी खास पहचान बनाई है। आज दुर्गा नवमी पर इन बेटियों के जज्बे काे सलाम...
हॉकी की ‘द वॉल’ सविता पूनिया
सिरसा जिले के गांव जोधकां की रहने वालीं सविता पूनिया ने 11 साल की उम्र में हॉकी स्टिक थामी और ऐसी धाक जमाई कि वर्तमान में भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान हैं। गोलकीपर की अहम भूमिका संभालने वालीं सविता को ‘द वॉल’ यानी दीवार की उपमा दी जाती है। सविता पूनिया का 2008 में भारतीय महिला हाॅकी टीम में चयन हुआ था और 2021 में वह कैप्टन बनीं। उन्हें अर्जुन पुरस्कार और भीम अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है। उनके पिता महेंद्र सिंह फार्मासिस्ट और मां लीलावती गृहणी हैं।
मिलनप्रीत : रोलर स्केटिंग में किया कमाल

हरप्रीत : पिता के सपने किये सच

भजन कौर : एशियन गेम्स में साधा निशाना


