अम्बाला, 9 मई (निस)
स्कूलों में नया सत्र शुरू हो चुका है, लेकिन अभी तक सरकारी स्कूलों में बच्चों को न किताबें मिली है और न ही किताबों के नाम पर मिलने वाली राशि उनके बैंक खातों में आई है। ऐसे में विद्यार्थियों को बिना पुस्तकों के पढ़ना चुनौतीपूर्ण हो रहा है। यह बात मुलाना विधायक वरुण चौधरी ने अपने बराड़ा आवास पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं की साप्ताहिक मीटिंग के दौरान कही। विधायक ने कहा कि पिछले साल भी विद्यार्थियों को समय से पुस्तकें नही मिली थी, जिस कारण उन्होंने विधानसभा सत्र के दौरान विद्यार्थियों को पुस्तकें न मिलने का मुद्दा उठाया था। इस बार भी प्रदेश में ऐसा हो रहा है अभी तक प्रदेश के आठवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों को न पुस्तकें मिली है और न ही आठवीं से बारहवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों को टैब अभी तक वितरित हुए हैं। सरकार ने पुस्तकों के नाम के 250- 300 रुपए प्रति विद्यार्थी देने की घोषणा की थी, लेकिन ये पैसे भी अभी तक किसी बच्चे को नहीं मिले हैं। वहीं सबसे बड़ी समस्या यह है कि जो पुस्तकें सरकारी स्कूलों में लगाई जाती हैं सरकार द्वारा दी जा रही उस राशि में इन पुस्तकों को नहीं खरीदा जा सकता है। इन किताबों का रेट दुकानों पर 1000 से लेकर 1500 तक मिलता है। जबकि सरकार द्वारा 250-300 रुपए प्रति विद्यार्थी ही दिए जाते हैं। ऐसे में सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों की जेब पर अतिरिक्त भार पड़ता हुआ नजर आ रहा है। विधायक ने सरकार से मांग की है कि सरकार बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करना छाेड़कर बच्चों को तुरंत किताबें उपलब्ध कराए।