Water Crisis Row : भाखड़ा-व्यास का पानी बीबीएमबी का है, ना की पंजाब का : श्रुति चौधरी
ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
चंडीगढ़, 2 मई।
Water Crisis Row : हरियाणा की सिंचाई एवं जल संसाधन मंत्री श्रुति चौधरी ने जल वितरण के मुद्दे पर कहा कि यह पानी पूरी तरह से बोर्ड का है ना कि पंजाब का। पंजाब के मुख्यमंत्री द्वारा हरियाणा के 103 प्रतिशत पानी के इस्तेमाल दावा बिल्कुल तथ्यहीन है। पंजाब सरकार का व्यवहार पूरी तरह से राजनीतिक है। इनसे दिल्ली की हार बर्दाश्त नहीं हो रही तभी ऐसी हरकत की जा रही है। श्रुति चौधरी शुक्रवार को चंडीगढ़ स्थित अपने निवास पर पत्रकारों से पानी वितरण के मुद्दे पर बातचीत कर रही थीं।
उन्होंने बताया कि राज्य की पीने की मांग को पूरा करने के साथ-साथ दिल्ली, राजस्थान सहित साझेदार राज्यों को आपूर्ति वितरित करने के लिए भाखड़ा में बंद अवधि के दौरान हरियाणा को 4000 क्यूसेक पानी देने का अनुरोध किया था क्योंकि बंद अवधि के दौरान डब्ल्यूजेसी के माध्यम से यमुना नदी से कोई आपूर्ति प्राप्त नहीं होनी थी। इसके जवाब में पंजाब ने केवल 3000 क्यूसेक पानी जारी किया जिसमें दिल्ली की 1049 क्यूसेक पानी की आवश्यकता भी शामिल थी।
मामले की गंभीरता को देखते हुए हरियाणा ने पीने के पानी को प्राथमिकता देते हुए 4000 क्यूसेक पानी देने की मांग रखी। फिर 23 अप्रैल को टीसीएम की बैठक में निर्णय लिया गया कि हरियाणा को 24 अप्रैल से 1 मई यानि 8 दिन की अवधि के दौरान हरियाणा संपर्क बिंदु के तहत 8500 क्यूसेक पानी आवंटित किया जाएगा, ताकि साझेदार राज्यों को शेयर वितरित किए जा सके। बैठक में सहमति के बाद भी पंजाब सरकार की ओर से 8500 क्यूसेक पानी के मांगपत्र को बीबीएमबी नहीं भेजा गया।
पंजाब के आंकड़े झूठे
मंत्री श्रुति चौधरी ने कहा कि पंजाब का यह दावा कि हरियाणा ने मार्च 2025 के महीने में अपने आवंटित पानी के हिस्से को पहले ही समाप्त कर दिया है, पूरी तरह से ग़लत और अनुचित है। चूंकि पंजाब केवल कमी अवधि के दौरान पानी का हिसाब लेकर गणना कर रहा है। पिछले वर्ष 2024 को भरने और कमी अवधि के दौरान पानी के खाते से स्पष्ट रूप से पता चलता है कि पंजाब राज्य को उसके आवंटित हिस्से 9.30 प्रतिशत अधिक हिस्सा दिया है।
हरियाणा को उसके आवंटित हिस्से से 0.198 प्रतिशत कम हिस्सा दिया है। पिछले 20 वर्षों का ऐतिहासिक जल खाता साबित करता है कि पंजाब को उसके आवंटित पाने के हिस्से से 22.44 प्रतिशत अधिक हिस्सा दिया है। हरियाणा ने अपने आवंटित हिस्से से केवल 7.67 प्रतिशत अतिरिक्त हिस्सा दिया है। इसलिए पंजाब का यह दावा कि हरियाणा ने अपना हिस्सा समाप्त कर दिया पूरी तरह से गलत है।