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Vidya Bharti Haryana : राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वन के संकल्प के साथ हुआ प्रांतीय आचार्य सम्मेलन का भव्य समापन

राष्ट्रीयता और भारतीयता से युक्त है राष्ट्रीय शिक्षा नीति : गोविंद चंद्र महंत
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विनोद लाहोट/निस

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समालखा,27 मई।

Vidya Bharti Haryana : राष्ट्रीय शिक्षा नीति के सफल क्रियान्वन के संकल्प के साथ विद्या भारती के प्रांतीय आचार्य सम्मेलन उद्दीप्त का समापन हुआ। हिंदू शिक्षा समिति के तत्वाधान मे पट्टीकल्याणा स्थित माधव जन सेवा न्यास पर आयोजित तीन दिवसीय आचार्य सम्मेलन के समापन समारोह में प्रदेश के राज्य पुरूस्कार से अलंकृत 32 शिक्षकों को सम्मानित भी किया गया। इसके बाद अतिथियों ने सामूहिक रूप से संस्था की स्मारिका का विमोचन किया। विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षण संस्थान के संगठन मंत्री गोविंद चंद्र महंत ने अपना मुख्य वक्तव्य मे विद्या भारती विद्यालय की उपलब्धियों के साथ-साथ राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सराहना की।

उन्होंने कहा कि लद्दाख से लेकर कन्या कुमारी और अंडमान निकोबार से गोवा तक विद्या भारती पूरे देश में कार्य कर रही है। देश में सांस्कृतिक व संस्कारित शिक्षा की आवश्यकता को अनुभव करते हुए विद्या भारती द्वारा कुरुक्षेत्र में गुरु जी के कर कमलों से विद्यालय प्रारंभ हुए। आज पूरे देश मे राष्ट्रीय एवं सांस्कृतिक से युक्त 12000 विद्यालय, 1. 5 लाख शिक्षक और 32 लाख छात्र छात्राए विद्या भारती के स्कूलों में शिक्षा ग्रहण कर रहे है।

गोविंद चंद महंत ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सराहना करते हुए कहा कि राष्ट्र भक्त प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार द्वारा तैयार राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से बच्चों का सामान्य व समग्र विकास होगा। इससे श्रेष्ठ व राष्ट्र भक्त नागरिक तैयार होंगे। राष्ट्रीयता और भारतीयता से युक्त राष्ट्रीय शिक्षा नीति से निर्माण हुआ है। विद्या भारती के विद्यालय सरकार के अनुदान से नहीं बल्कि समाज के सहयोग से चल रहे हैं। उन्होंने आचार्यों का आह्वान करते हुए कहा कि गुणवत्ता युक्त राष्ट्रीय शिक्षा नीति का सही से क्रियान्वन के लिए छात्रों का व्यक्तित्व निर्माण करके 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनने में सहयोगी बने।

समारोह की अध्यक्षता करते ऋषि चैतन्य आश्रम गन्नौर की संचालिका आनंद मूर्ति गुरु मां ने अपने आशीर्वचनों से शिक्षकों का मार्गदर्शन किया। उन्होंने कहा कि विद्या भारती एक ऐसा शिक्षण संस्थान है जो छात्रों के साथ-साथ आचार्य का भी सर्वांगीण विकास करती आ रही है। जो देश से प्रेम करता है वह शिक्षक समर्पण भाव से विद्या भारती के विद्यालय में काम करते हैं। छात्र पुस्तकों से अधिक आचार्य के आचरण से सीखते हैं। यदि छात्र बड़ा होकर विपरित आचरण करता है तो माता पिता के साथ-साथ शिक्षक पर भी लांछन लगता है। गुरू मां ने धर्म की आड में धन उपार्जित करने वाले धर्माचार्यों का आह्वान करते हुए कहा कि आज देश में मंदिरों व देवालयों से ज्यादा विधालयों की आवश्यकता है।

इससे पहले कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं आरएसएस के क्षेत्र संघ चालक पवन जिंदल ने शिक्षा पद्धति के गिरते स्तर पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज मेरिट के आधार पर विद्यालयों के परिणाम का आंकलन किया जाता है। कितने लोगों के जीवन में परिवर्तन आया इसका आंकलन होना चाहिए। शिक्षा का कार्य तो प्राचीन काल से चला आ रहा था परंतु अब शिक्षा के क्षेत्र में पतन हुआ है। आजादी के बाद विद्या भारती जैसे संगठनों ने राष्ट्रीय मूल्यों से युक्त शिक्षा प्रदान का कार्य प्रारंभ किया है। उन्होंने कहा कि माता पिता के बाद एक शिक्षक ही है जो बच्चे को आगे बढ़ने से ईर्ष्या नहीं करते।

विद्या भारती उत्तर क्षेत्र के संगठन मंत्री विजय नड्डा ने कहा कि इसका उद्देश्य बालकों को संस्कारवान एवं देशभक्त बनाना है ताकि वह समाज में एक अपनी विशिष्ट पहचान बना सके। विद्या भारती बच्चों को संस्कारवान के साथ-साथ एक अच्छी शिक्षा दीक्षा देने का भी काम करती है। इससे पहले समापन समारोह का शुभारंभ मुख्य अतिथि पवन जिंदल, विशिष्ट अतिथि डॉ पंकज शर्मा व आंनद मूर्ति गुरु मां, विकास गिरी महाराज व अन्य गणमान्यों द्वारा मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलित करके किया गया।

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