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नायब कैबिनेट में इस बार पंजाबियों का बढ़ेगा दबदबा

ट्रिब्यून न्यूज सर्विस चंडीगढ़, 9 अक्तूबर प्रदेश में तीसरी बार भाजपा के पूर्व बहुमत से सत्ता में आने के बाद अब सरकार गठन की तैयारियां तेज हो गई हैं। दशहरे के बाद नायब सरकार का गठन संभव है। हरियाणा के...
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ट्रिब्यून न्यूज सर्विस

चंडीगढ़, 9 अक्तूबर

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प्रदेश में तीसरी बार भाजपा के पूर्व बहुमत से सत्ता में आने के बाद अब सरकार गठन की तैयारियां तेज हो गई हैं। दशहरे के बाद नायब सरकार का गठन संभव है। हरियाणा के पंजाबी समाज ने इस बार खुलकर भाजपा का समर्थन किया है। ऐसे में नायब कैबिनेट में पंजाबियों का वर्चस्व बढ़ सकता है। दिल्ली से जुड़े भाजपा सूत्रों का कहना है कि सरकार में दो से तीन पंजाबी विधायकों को एडजस्ट किया जा चुका है।

भाजपा ने इस बार 90 सीटों में से 11 जगहों पर पंजाबी नेताओं को टिकट दिया था। इनमें से 8 हलकों में पंजाबी उम्मीदवार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं। इनमें अम्बाला कैंट से सातवीं बार विधायक बने पूर्व गृह व स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज सबसे वरिष्ठ नेताओं में शामिल हैं। अनिल विज मनोहर सरकार के पहले कार्यकाल में स्वास्थ्य मंत्री रहे। वहीं मनोहर पार्ट-।। में वे गृह व स्वास्थ्य मंत्री रहे। हालांकि 12 मार्च को मनोहर लाल की जगह जब नायब सैनी को मुख्यमंत्री बनाया गया तो विज को कैबिनेट में नहीं लिया गया। इस बार विधानसभा चुनाव में प्रचार के दौरान अनिल विज मुख्यमंत्री पद को लेकर भी अपना दावा ठोक चुके हैं। विज ने यह कहते हुए सीएम की कुर्सी पर क्लेम किया था कि वे पार्टी के सभी वरिष्ठ नेताओं में शामिल हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि वे इस बार अपने वरिष्ठता के हिसाब से पार्टी के सामने मुख्यमंत्री पद को लेकर अपनी बात रखेंगे। इतना ही नहीं, लोगों के बीच संवाद के बीच उन्होंने यहां तक कह दिया था कि अगली मुलाकात चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री आवास पर होगी। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह हरियाणा में प्रचार व बैठकों के दौरान स्पष्ट तौर पर कह चुके हैं कि नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में चुनाव लड़ा जा रहा है और वे ही मुख्यमंत्री का चेहरा होंगे। ऐसे में अनिल विज का मुख्यमंत्री पद को लेकर किया गया क्लेम कितना काम आएगा, इस पर बड़ा सस्पेंस है। इससे पहले जब नायब सिंह सैनी को भाजपा विधायक दल का नेता चुनने की बात आई तो विज ने उस बैठक में आपत्ति जताई थी। नायब सिंह सैनी के साथ वे कैबिनेट में शामिल रहना चाहेंगे या नहीं, यह भी बड़ा सवाल है। हिसार जिला के हांसी हलके से तीसरी बार विधायक बने विनोद भ्याना का नाम भी मंत्री पद के लिए भाजपा गलियारों में है। विनोद भ्याना राज्य सरकार में मुख्य संसदीय सचिव भी रह चुके हैं। 2009 में वे पहली बार विधायक बने थे। इसके बाद वे 2019 में भाजपा टिकट पर विधायक बने और इस बार भी उन्होंने भाजपा टिकट पर लगातार दूसरी बार जीत हासिल की है। भाजपा हिसार संसदीय सीट को साधने के साथ-साथ पंजाबी बाहुल्य हिसार, सिरसा, फतेहाबाद, भिवानी व रोहतक आदि जिलों में भी संदेश देना चाहेगी। बरवाला हलके से विधायक बने रणबीर सिंह गंगवा की भी सरकार में एडजस्टमेंट तय है। मनोहर व नायब सरकार में वे विधानसभा के डिप्टी स्पीकर रहे। ऐसे में इस बार उन्हें कैबिनेट में लिए जाने की प्रबल संभावना है।

मिड्ढा व अरोड़ा भी दौड़ में

इस बार मंत्री पद की दौड़ में जींद विधायक डॉ. कृष्ण मिड्ढा, यमुनानगर विधायक घनश्याम दास अरोड़ा व पानीपत सिटी विधायक प्रमोद कुमार विज भी हैं। विज लगातार दूसरी बार विधायक बने हैं। वहीं मिड्ढा व अरोड़ा तीन-तीन बार के विधायक हैं। बड़खल से धनेश अदलक्खा, करनाल से जगमोन आनंद और सोनीपत से निखिल मदान ने पहली बार ही चुनाव जीता है। मनोहर सरकार के पहले कार्यकाल में सीएम के अलावा दो पंजाबी नेताओं – अनिल विज व मनीष ग्रोवर को कैबिनेट में लिया हुआ था। नायब सरकार में सुभाष सुधा व सीमा त्रिखा पंजाबी कोटे से मंत्री रहीं। ऐसे में इस बार भी दो से तीन पंजाबी विधायकों की सरकार में एडजस्टमेंट संभव है। भाजपा के 11 में से तीन पंजाबी उम्मीदवार चुनाव हारे हैं। इनमें रोहतक से मनीष ग्रोवर, थानेसर से सुभाष सुधा और ऐलनाबाद से अमीर चंद मेहता शामिल हैं।

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