चंडीगढ़, 23 मार्च (ट्रिन्यू)
95 फीसदी कागज बचाकर 100 फीसदी से अधिक कार्य उत्पादकता के साथ हरियाणा विधानसभा का बजट सत्र अपने आप में विशिष्ट रहा। 20 फरवरी से शुरू होकर 22 मार्च को संपन्न हुए बजट सत्र की कार्य उत्पादकता 100.79 प्रतिशत रही। इस दौरान सदन ने 6 विधेयक पारित किए गए तथा 12 ध्यानाकर्षण प्रस्तावों पर विस्तृत चर्चा हुई। विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने बृहस्पतिवार को सेक्टर-3 स्थित एमएलए हॉस्टल में प्रेस कॉन्फ्रेंस में बजट संबंधी आंकड़े साझा किए। सत्र के दौरान पेश हुए बजट का अध्ययन करने के लिए लंबा अवकाश किया गया। इस अवकाश अवधि में विधायकों को नई दिल्ली स्थित संसदीय लोकतंत्र शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान (प्राइड) से प्रशिक्षण भी दिलाया गया। इस प्रकार का अनूठा प्रयोग करने वाला हरियाणा देश का पहला राज्य है। बजट सत्र कुल 39 घंटे 16 मिनट चला, जिसमें सभी 74 विधायकों ने किसी न किसी चर्चा में भागीदारी की।
विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने बताया कि बजट सत्र की शुरुआत 20 फरवरी को राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय के अभिभाषण से हुई थी। 21 और 22 फरवरी को 6 घंटे 42 मिनट सदन में राज्यपाल के अभिभाषण पर 43 विधायकों ने अपने विचार व्यक्त किए। 23 फरवरी को वित्त मंत्री के नाते मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने वर्ष 2023-24 के लिए बजट प्रस्तुत किया। बजट दस्तावेजों का बारीकी से अध्ययन करने के लिए 8 तदर्थ समितियां गठित की गईं। इन समितियों ने 24 फरवरी से 16 मार्च तक रही सत्रावकाश अवधि में अनेक बैठकें कर समग्रता से बजट दस्तावेजों का अध्ययन किया।
इन समितियों में शामिल सभी 74 विधायकों के प्रशिक्षण के लिए 6 मार्च को प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। पहले बजट पर चर्चा के वक्त विधायक आंकड़े कम प्रस्तुत करते थे, लेकिन इस बार बजट सत्र में लगभग सभी सदस्यों ने बजट पर चर्चा के दौरान आंकड़े पेश किए।
सदन में 17, 20 और 21 मार्च को 9 घंटे 33 मिनट तक बजट पर चर्चा हुई, जिसमें 55 विधायकों ने भागीदारी की। इनमें भाजपा के 25, जजपा के 5, कांग्रेस के 19 तथा 6 निर्दलीय विधायक शामिल रहे। इन विधायकों ने औसतन 5.75 मिनट तक अपनी बात रखी।
हाईकोर्ट के नोटिस का जवाब नहीं देगी विस
अमर्यादित व्यवहार के चलते सदन की दो बैठकों से निष्कासित करने के बाद हाई कोर्ट पहुंचे अभय चौटाला के मामले में विधानसभा अध्यक्ष ने एडवोकेट जनरल को विधानसभा द्वारा पारित प्रस्ताव भेज दिया है। इसमें कहा गया है कि हाई कोर्ट विधानसभा की कार्यवाही में दखल नहीं दे सकता। इसलिए विधानसभा की ओर से हाई कोर्ट के नोटिस का जवाब नहीं दिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट की आठ सदस्यीय पीठ पूर्व में आदेश कर चुकी है कि न्यायपालिका विधायिका की कार्यवाही में दखल नहीं दे सकती है।