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पुलिस इंस्पेक्टर भर्ती पर विधानसभा में दूसरे दिन गरमा-गरमी

दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू चंडीगढ़, 19 मार्च हरियाणा विधानसभा में हुड्डा सरकार के समय हुई इंस्पेक्टर भर्ती की अनियमितताओं पर उस समय हंगामा हुआ जब पूर्व मंत्री व नारनौल विधायक ओमप्रकाश यादव ने बुधवार को फिर से यह मुद्दा उठा दिया। यादव...
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दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू

चंडीगढ़, 19 मार्च

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हरियाणा विधानसभा में हुड्डा सरकार के समय हुई इंस्पेक्टर भर्ती की अनियमितताओं पर उस समय हंगामा हुआ जब पूर्व मंत्री व नारनौल विधायक ओमप्रकाश यादव ने बुधवार को फिर से यह मुद्दा उठा दिया। यादव ने ही मंगलवार को यह मामला उठाया था। हालांकि उस समय पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा सदन में मौजूद नहीं थे। बुधवार को यादव ने इस मामले में स्पष्ट जवाब मांगते हुए कहा कि अगर मुझे जवाब नहीं मिला तो सदन से वॉकआउट करना पड़ेगा। उनके इतना कहते ही विपक्षी दल कांग्रेस के विधायक भड़क उठे।

हुड्डा ने कहा कि पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले पर यहां चर्चा नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि फैसले में कहीं भी यह नहीं कहा गया कि फ्ल्यूड का इस्तेमाल किया गया है। अगर ऐसी बात होती तो भर्ती को रद्द किया जाता। कोर्ट ने भर्ती को रद्द नहीं किया है। हंगामा अधिक बढ़ गया और सीएम नायब सिंह सैनी ने भी इस मामले को आगे बढ़ाया तो इस पर भड़के हुड्डा ने कहा- अगर ऐसा ही करना है तो मैं इस्तीफा दे देता हूं।

हुड्डा ने कहा कि हाईकोर्ट ने ऐसा कुछ नहीं कहा, जिससे पिछली सरकार पर सवाल खड़े होते हों। पूर्व सीएम ने विधानसभा में कोर्ट का फैसला पढ़कर सुनाते हुए कहा कि इसमें कुछ भी संदिग्ध नहीं है। सरकार ने कोर्ट के फैसले पर गलत टिप्पणी की है। हंगामा बढ़ते देख मुख्यमंत्री नायब सैनी खड़े हो गए और उन्होंने कहा कि इस मामले पर कल भी सदन में गरमा-गरमी हुई थी। मामला 2008 की इंस्पेक्टर भर्ती से जुड़ा है, जहां विवाद के चलते कोर्ट ने एक विशेष टिप्पणी की है।

झूठे आरोप लगाने हैं तो मैं इस्तीफा दे देता हूं : हुड्डा

हुड्डा ने मुख्यमंत्री को घेरते हुए कहा - आप कोर्ट के फैसले को विधानसभा में डिस्कस नहीं कर सकते। हुड्डा ने तल्खी भरे लहजे में कहा कि आपके विरुद्ध भी बहुत से फैसले आए हुए हैं। हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट है। अगर ऐसे झूठे आरोप लगाने हैं तो मैं सदन से इस्तीफा दे देता हूं। सीएम नायब सैनी ने कहा कि आप जो कहना चाहें कहें। ये व्यवस्था की बात है, अगर किसी के साथ कोई अन्याय हुआ है तो कोर्ट ने उस पर टिप्पणी की है।

हुड्डा और विज के बीच भी हुई तकरार

विवाद तब और बढ़ गया जब परिवहन मंत्री अनिल विज ने कहा कि हाईकोर्ट का जो फैसला हुड्डा और मुख्यमंत्री ने पढ़कर सुनाया है, उससे स्पष्ट होता है कि हुड्डा ने हाईकोर्ट के कुछ प्वाइंट्स छिपा दिए हैं। विज ने कहा कि यह मामला कोर्ट में नहीं चल रहा, बल्कि फैसला आ चुका है। इसलिए चर्चा की जा सकती है। काफी हंगामे के बाद स्पीकर ने सभी सदस्यों को शांत करवाकर चेयर पर बिठाया और करीब 15 मिनट बाद सदन की कार्यवाही दोबारा चली।

हाईकोर्ट के फैसले पर एजी से राय लेगी सरकार : नायब सैनी

मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि प्रदेश सरकार कांग्रेस कार्यकाल में हरियाणा पुलिस में इंस्पेक्टरों के 20 पदों की भर्ती को लेकर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले के संबंध में महाधिवक्ता की राय लेगी। यदि कोर्ट के निर्णय की अनुपालना में हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग मामले की जांच किसी विशेष एजेंसी से करवा सकता है तो सरकार उन्हें तुरंत सेवाएं उपलब्ध करवाने के लिए तैयार है। उन्होंने बताया कि 2011 में एक व्यक्ति ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाए कि वर्ष 2008 में हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ने हरियाणा पुलिस में इंस्पेक्टरों के 20 पदों के लिए लिखित परीक्षा और इंटरव्यू करके जो रिजल्ट निकाला था उस प्रक्रिया में कई धांधलियां हुई। लिखित परीक्षा में अव्वल आने के बावजूद इंटरव्यू में कम नंबर दिए गए। याचिकाकर्ता ने यह भी आरोप लगाया था कि दो चयनित उम्मीदवारों ने लिखित परीक्षा स्वयं नहीं दी थी। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता यदि इस निर्णय से संतुष्ट नहीं है तो अपील करना उसका कानूनी अधिकार है। मुख्यमंत्री ने बताया कि कि न्यायालय ने याचिकाकर्ता के सारे आरोपों की जांच के लिए एक तीन सदस्यीय कमेटी बनाई थी। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में प्रतिरूपण के इस आरोप पर हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ने कहा कि लिखित परीक्षा की अटेंडेंस शीट अब उपलब्ध नहीं है। इसलिए इसकी जांच के लिए दोनों चयनित उम्मीदवारों की हैंडराइटिंग का सैंपल लेकर उत्तर पुस्तिका में दर्ज लिखाई का फॉरेंसिक मिलान किसी स्पेशलाइज्ड एजेंसी द्वारा किया जाना चाहिए। इस पर अपने निर्णय में लिखा कि कोर्ट जांच एजेंसी का काम नहीं कर सकती। कर्मचारी चयन आयोग के पास तथ्यों की जांच करवाने की स्वतंत्रता है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस कार्यकाल में सरकारी नौकरी में भर्ती प्रक्रिया ठीक नहीं थी। उस समय योग्य युवाओं के साथ शोषण होता था और गरीब का बच्चा तो सरकारी नौकरी की सोच भी नहीं सकता था।

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