हरीश भारद्वाज/हप्र
रोहतक, 13 जनवरी
कोरोना के बढ़ते मामलों ने प्रवासी श्रमिकों के सामने फिर से आजीविका का संकट पैदा कर दिया है। महामारी की वजह से लोग निर्माण कार्य करवाने से कतरा रहे हैं, जिससे इस कारोबार से जुड़े श्रमिकों, मिस्त्रियों व ठेकेदारों के समक्ष रोजी-रोटी का संकट गहरा रहा है।
भवन निर्माण कामगार यूनियन (बीकेएनयू) के जिला (शहरी) अध्यक्ष संजीव सिंह का कहना है कि रोहतक में निर्माण गतिविधियों में लगे 30,000 से अधिक प्रवासी श्रमिक हैं। इनमें से 21,000 ठेकेदारों से जुड़े हुए हैं, जबकि बाकी या तो स्वतंत्र रूप से काम करते हैं या दैनिक रूप से जिले के विभिन्न स्थानों पर श्रमिक चौकों पर जीविकोपार्जन के लिए जाते हैं।
कोविड के मामलों में वृद्धि के बाद से 10,000 से अधिक लोगों को काम नहीं मिल रहा हैै। उन्होंने बताया कि ठेकेदारों को भी कोविड की वजह से मुश्किल उठानी पड़ रही है, क्योंकि नई सरकारी परियोजनाओं को बंद नहीं किया जा रहा था, जबकि लोग नए निर्माण और नवीनीकरण कार्य करने से पहले तीसरी कोविड लहर के कम होने का इंतजार कर रहे थे। यूपी में झांसी के रहने वाले एक श्रमिक राजिंदर ने कहा कि उसके साथ के कई लोग रोजगार न मिलने के कारण घर वापस लौट गए हैं। उसे लेबर चौक पर काम मिल गया इसलिए वह यहां पर रुक गया है।
वहीं मध्यप्रदेश के धनी राम ने कहा कि जिला अधिकारी शहर में बने श्रमिक चौकों पर भीड़ की अनुमति नहीं दे रहे हैं और साथ ही कोविड के नियमों के उल्लंघन पर चालान करने की भी धमकी दे रहे हैं। यह कई मजदूरों के लिए भी प्रतिकूल साबित हो रहा है जो काम लेने के लिए चौक नहीं जाते हैं। शहर के एक निर्माण सामग्री विक्रेता दिलबाग ने कहा कि कोविड की स्थिति के कारण काम 30 प्रतिशत तक कम हो गया है, क्योंकि लोग निर्माण कार्यों से बच रहे हैं।