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लोकसभा में गूंजी थेहड़ के उजड़ चुके सैकड़ों परिवारों की दास्तां

सिरसा में पुरातत्व विभाग के सर्वे ने लोगों से छीनी उनकी जमीन
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सांसद कुमारी सैलजा।
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सिरसा, 3 अप्रैल (हप्र)सिरसा के थेहड़ के सैकड़ों परिवारों के पुनर्वास का मुद्दा बृहस्पतिवार को लोकसभा में उठा। पूर्व केंद्रीय मंत्री व सिरसा सांसद कुमारी सैलजा ने विस्थापित हुए 713 परिवारों को पुन: बसाने की मांग उठाई। केंद्रीय पर्यटन और कला संस्कृति मामले मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के सामने मामले को उठाया। पुरातत्व विभाग द्वारा थेहड़ को सूचीबद्ध करने की वजह से इन परिवारों के सामने मुश्किलें पैदा हुई।

सैलजा ने कहा कि थेहड़ की खाली करवाई गई 35 एकड़ भूमि को पुरातत्व विभाग की मानते हुए वहां पार्क व संग्रहालय बनवाया जाए। साथ ही, उन्होंने विस्थापित किए गए 713 परिवारों को भी बसाने का प्रबंध करने की मांग सरकार से की। उन्होंने कहा कि बाकी की जमीन को डी-नोटिफाई किया जाए। सैलजा ने कहा है कि इस थेहड़ को पुरातत्व विभाग ने 1932 में सूचीबद्ध किया था।

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इसकी कितनी भूमि है उसके सर्वे को लेकर एक टीम का गठन किया गया था इसमें पुरातत्व विभाग की ओर से अजायब सिंह, राजस्व विभाग की ओर से पटवारी, नायब तहसीलदार, तहसीलदार आदि शामिल थे। टीम ने एक संयुक्त रिपोर्ट सिरसा डीसी को सौंपी। रिपोर्ट में निशानदेही, सर्वे सूची, नजरिया नक्शा और सर्वे नक्शा संलग्न किया था। इसमें पुरातत्व विभाग की 35 एकड़ भूमि बताई गई।

2017 में हरियाणा सरकार के कुछ जूनियर प्रशासनिक अधिकारियों की गलती से थेहड़ की 35 एकड़ के बजाय 85.5 एकड़ भूमि दर्शा दी गई। उन्होंने कहा कि जो 50 एकड़ भूमि दिखाई गई है, वह थेहड़ (टीले) के बीच की है। यह भूमि रानियां रोड पर है। यहां पर करीब पांच हजार परिवार रहते हैं। इस भूमि पर आवास के साथ-साथ व्यावसायिक प्रतिष्ठान हैं। सैलजा ने कहा कि इस भूमि की 70-80 सालों से रजिस्ट्री होती आ रही है।

उन्होंने कहा कि थेहड़ की 35 एकड़ भूमि को वर्ष 2017 में कब्जा मुक्त करवा लिया गया और वहां रहने वाले 713 परिवारों को हूडा सेक्टर-19 के फ्लैट्स में अस्थाई रूप से इस शर्त पर बसाया गया कि उनके स्थायी आवास की जल्द ही प्रबंध कर दिया जाएगा। आज तक ऐसा नहीं हुआ और ये सभी परिवार बुनियादी सुविधाओं से जूझ रहे हैं। वहां पर अभी तक एक भी पैसा नहीं लगाया है। संबंधित विभाग के मंत्री एक सवाल के जवाब में साफ कर चुके हैं कि बजट नहीं है।

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