ललित शर्मा/हप्र
कैथल, 15 अप्रैल
जसविन्द्र एक दिहाड़ी मजदूर हैं। उन्हें लगता था उनका बच्चा पढ़-लिखकर कोई अफसर बने या ना बने, लेकिन मजदूर बिल्कुल नहीं बनेगा। जागृत आंखों से देखा उनका सपना तार-तार होने के कगार पर है। जिस उम्मीद से उन्होंने गांव बुच्ची की सरकारी प्राथमिक पाठशाला में अपने बेटे दीपा का दाखिला करवाया था, वह उम्मीद 17 महीनों से टूटी पड़ी है। गांव में पांचवीं कक्षा तक यह एकमात्र स्कूल है और पढ़ाने के लिए एक भी अध्यापक नहीं है। साथ लगते मिडिल स्कूल के टीचर यहां आते हैं और सरकारी रजिस्टराें का पेट भरकर चले जाते हैं। कैथल जिले के इस स्कूल के हालात शिक्षा को लेकर सरकार के बड़े-बड़े दावों की जमीनी हकीकत पर सवाल खड़े करते हैं।
इस स्कूल के टीचर का 17 महीने पहले तबादला हो गया था। उसके बाद से पद खाली है। स्कूल में क्लर्क या मुखिया का अलग से पद नहीं है। पहली से पांचवीं कक्षा तक 25 विद्यार्थी हैं। इस सत्र में कोई नया दाखिला नहीं हुआ है। स्थिति यह है कि बच्चे रोज सुबह तैयार होकर आते हैं, लेकिन टीचर नहीं आते। स्कूल में पढ़ाई न होने के कारण निधि के पिता प्रदीप, नेहा के पिता रिंकू अपने बच्चों का स्कूल से नाम कटवाना चाहते हैं। उनकी तरह कई अन्य अभिभावक भी मजबूर होकर स्कूल छोड़ने का प्रमाण पत्र मांग रहे हैं। वर्ष 2021-22 में इस स्कूल में 34 बच्चे थे, जबकि 2019-20 में छात्रों की संख्या 36 थी।
मिडिल स्कूल में पढ़ाने वाले मास्टर श्याम सुंदर का कहना है कि वे अपने स्कूल के बच्चों को छोड़कर प्राइमरी स्कूल के बच्चों को पढ़ाने जाते हैं। इससे उनके स्कूल के बच्चों की पढ़ाई भी बाधित होती है। मिडिल स्कूल के हेड राजकुमार से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि हमारे स्कूल में जब किसी टीचर का पीरियड खाली होता है, तो वह प्राइमरी स्कूल के बच्चों को पढ़ाते हैं। उनका प्रयास रहता है कि उनके स्कूल का एक टीचर प्राइमरी स्कूल के बच्चों को पढ़ा दे, क्योंकि इन छात्रों का कोई कसूर नहीं है। उन्होंने कहा कि इस प्राइमरी स्कूल के मिड-डे मील व लेखा-जोखा व्यवस्था को वह स्वयं संभाल रहे हैं।
डीईओ बोले- तबादले की पावर नहीं
इस बारे में जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) अनिल शर्मा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि उन्हें अपने स्तर पर किसी टीचर का तबादला करने का अधिकार नहीं है। इस संदर्भ में अगर उनके पास कोई चिट्ठी आ जाए, तो वे तुरंत स्कूल में टीचर भेज देंगे।
शिक्षामंत्री ने कहा- अब ट्रांसफर कर सकेंगे अधिकारी
शिक्षामंत्री कंवरपाल गुर्जर से बात की गई तो उन्होंने कहा कि अब जिला शिक्षा अधिकारी व जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी भी शिक्षकों का अपने जिलों के अंदर ट्रांसफर कर सकेंगे। यह इसलिए किया जा रहा है कि कई जगहों पर टीचरों की कमी थी, तो कई जगह अधिक हो गए थे। इस संदर्भ में एक-दो दिन में चिट्ठी भी जारी कर दी जाएगी।
अफसर, विधायक से गुहार बेअसर
स्कूल की इस स्थिति के बारे में जिला शिक्षा अधिकारी से लेकर विधायक तक को पता है, लेकिन शायद प्रशासन व सरकार को इन बच्चों की फिक्र नहीं है। स्कूल प्रबंधक कमेटी की ओर से बाकायदा रजिस्टर में रेजूलेशन डालकर टीचरों की मांग की जा चुकी है। इसके अलावा साथ लगते मिडिल स्कूल के टीचरों द्वारा प्राइमरी स्कूल के लिए टीचरों की मांग कर चुके हैं। ग्रामीणों ने जिला शिक्षा अधिकारी, विधायक रणधीर गोलन को भी इसके बारे में सूचित किया है, इसके बावजूद स्कूल को एक भी शिक्षक नहीं मिला।