अमर बटार/निस
छछरौली, 25 अप्रैल
खनन माफिया ने धन कमाने की होड़ में श्मशान भूमि को भी नहीं बख्शा है। तहसील छछरौली के ग्राम बहादुरपुर के मृतकों को दो गज जमीन भी मयस्सर नहीं होती है। उनका अंतिम संस्कार वन विभाग की सरकारी जमीन पर करना पड़ता है, जबकि ग्राम पंचायत के पास पंचायती व देह शामलात भूमि लगभग 40 एकड़ है।
पंचायत विभाग की विकास सूची में मोक्ष धाम का कार्य नहीं है, जबकि यह गांव हरियाणा के शिक्षा व वन मंत्री कंवर पाल का पैतृक गांव है। गांव बहादुरपुर में आबादी से एक किलोमीटर दूर खेतों में बने श्मशान घाट के ढांचे तक पहुंचने की यात्रा आसान नहीं है। तीन तरफ से अवैध खनन के कारण बदहाल हालत में झाड़ियों के बीच बने श्मशान घाट तक पहुंचने का रास्ता बेहद उबड़-खाबड़ है।
बरसात के दिनों में उक्त रास्ते से शव कंधों पर लेकर चलना बेहद जोखिम भरा है। अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट तक की यात्रा भी अगर आसान न होकर दुर्गम व कष्टदायी हो तो संसार से विदा होने वाले व्यक्ति के परिजनों के दिल को ठेस लगना स्वाभाविक है। गांव में पश्चिमी यमुना नहर किनारे एक एकड़ जमीन पर 1998 में ग्राम पंचायत के तत्कालीन सरपंच हरजिंदर सिंह द्वारा श्मशान घाट के शैड का निर्माण कराया गया था। 24 साल बीत जाने के बावजूद भी श्मशान घाट का न तो आज तक प्लास्टर हुआ और न ही शैड तक पहुंचने का रास्ता ही बन सका। श्मशान घाट पर वृद्धजनों के बैठने का कोई समुचित प्रबंध नही किया गया है, न हींपानी की कोई व्यवस्था की गई है। घाट तक पहुंचने के उबड़ खाबड़ रास्ते के कारण ग्रामीणों द्वारा शव का अंतिम संस्कार पश्चिमी यमुना नहर किनारे ही कर दिया जाता है। अनदेखी और बदहाली के कारण श्मशान घाट के चारों तरफ झाड़ियां व कबाड़ा उग आया है।
अवैध खनन के चलते न केवल श्मशान घाट की जमीन को तीन तरफ से खोद लिया गया है, बल्कि शैड तक पहुंचने का कच्चा रास्ता भी भारी वाहनों के कारण क्षतिग्रस्त हो गया है। अवैध खनन के कारण श्मशान घाट के ढांचे के नीचे की ही जमीन शेष बची है। जब इस मामले पर खंड विकास अधिकारी का पक्ष जानने का प्रयास किया गया तो उनका मोबाइल बन्द मिला।