जसमेर मलिक/हप्र
जींद, 4 अक्तूबर
जींद जिला कारागार में बंद कैदी अब परंपरागत कोयल की अंगीठी की जगह ग्रीन कोल का इस्तेमाल करेंगे। इससे कारागार में प्रदूषण कम होगा।
जिला कारागार की क्षमता लगभग 1000 कैदियों और बंदियां को रखने की है। इस समय जिला कारागार में लगभग 1000 कैदी और बंदी हैं। इनमें काफी कैदी और बंदी कैंटीन से दूध खरीद कर उसे कोयले में गर्म करते हैं। काफी कैदी अपनी चाय खुद बनाते हैं। इसके लिए जिला कारागार में अब तक परंपरागत कोयले का इस्तेमाल हो रहा है। जिला कारागार परिसर में इस तरह का प्रदूषण रोकने के लिए जेल प्रशासन ने फैसला लिया है कि अब जिला कारागार में परंपरागत कोयले की अंगीठियों की जगह ग्रीन कोयल की अंगीठी जलेंगी। इसके लिए जेल प्रशासन ने मेसर्स शुद्ध ग्रीन चारकोल कंपनी के साथ करार किया है। करार के तहत जींद की जिला कारागार को एक ऐसी मशीन शुद्ध ग्रीन चारकोल कंपनी द्वारा दी गई है, जिसमें एग्रीकल्चर वेस्ट डालकर उससे ग्रीन कोयला बनाया जाएगा। एग्रीकल्चर वेस्ट में पेड़ों की जड़ और दूसरा सभी तरह का वेस्ट शामिल है। इस एग्रीकल्चर वेस्ट से यह मशीन ग्रीन कोयला बनाएगी। ग्रीन कोयल से काफी देर तक आंच मिलती रहेगी और इससे किसी तरह का प्रदूषण भी नहीं होगा।
दूसरी जेलों और कंपनी को भी होगा सप्लाई
जींद के जिला कारागार में एग्रीकल्चर वेस्ट से बनने वाले ग्रीन कोयले को हरियाणा की दूसरी जेलों के साथ-साथ शुद्ध ग्रीन चारकोल कंपनी को भी सप्लाई किया जाएगा। इसे लेकर जींद के जिला कारागार अधीक्षक संजीव बुधवार का कहना है कि हरियाणा के जेल महानिदेशक मोहम्मद अकील के मार्गदर्शन में यह नई व्यवस्था की गई है। इसके तहत जिला कारागार में एग्रीकल्चर वेस्ट से ग्रीन कोल बनाने वाली मशीन उपलब्ध हो गई है। ग्रीन कोल के इस्तेमाल से जेल परिसर में प्रदूषण पर रोक लगेगी और यह पूरी तरह सुरक्षित भी होगा।