दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 20 जून
राज्यसभा चुनावों में कांग्रेस की हार के पीछे सेंधमारी तो एक कारण रहा ही, साथ ही कांग्रेसियों की जल्दबाजी भी उन्हें ले बैठी। कुलदीप बिश्नोई की क्रॉस वोटिंग और एक विधायक द्वारा गलत वोट डालने के बाद भी गेम पलट सकता था, लेकिन न तो हरियाणा मामलों के प्रभारी विवेक बंसल ने गंभीरता दिखाई और न ही चुनाव एजेंट गंभीर नज़र आए। सबसे अधिक संदिग्ध भूमिका विवेक बंसल की नज़र आ रही है।
इस पूरे घटनाक्रम पर विवेक बंसल कांग्रेस विधायकों के निशाने पर हैं। अब वे पार्टी नेतृत्व को जो चाहे रिपोर्ट दें, लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि संदिग्ध विधायक के बारे में वे ही जानते हैं। कारण साफ है, क्योंकि वोटिंग के दौरान वे ही पार्टी के अधिकृत एजेंट के रूप में पोलिंग स्टेशन में मौजूद थे और सभी विधायकों की वोट चैक कर रहे थे। वोट रद्द भी किसी अस्पष्ट नहीं बल्कि स्पष्ट कारण के चलते हुई है।
ऐसे में यह कहकर भी नहीं बचा जा सकता कि जिस विधायक की वोट रद्द हुई उसने बैलेट पेपर में नंबरिंग गलत की हुई थी। चूंकि जो वोट रद्द हुई है वह गलत नंबरिंग की वजह से नहीं बल्कि ‘टिक’ करने की वजह से हुई है। गलत नंबरिंग तो भाजपा के भी एक विधायक ने की हुई थी। इस पर कांग्रेसियों ने लिखित आपत्ति भी जताई, लेकिन बाद में खुद ही अपनी आपत्ति को वापस भी ले लिया। हालांकि रिटर्निंग अधिकारी राजेंद्र सिंह नांदल कांग्रेस की आपत्ति को खारिज कर चुके थे। भाजपा के एक विधायक ने अपना वोट डाला तो पार्टी प्रत्याशी कृष्ण लाल पंवार को ही था लेकिन उन्होंने उनके नाम के सामने बने ब्लॉक की बजाय नाम के साथ ही एक नंबर डाल दिया था। इस पर कांग्रेस एजेंट व राज्यसभा सांसद शक्ति सिंह गोहिल, रोहतक विधायक बीबी बतरा व कांग्रेस प्रत्याशी अजय माकन के एडवोकेट हरीश भरारा ने आपत्ति जताते हुए इसे रद्द करने की मांग की थी। इस दौरान गोहिल व बतरा ने कुलदीप की क्रॉस वोटिंग के बाद अपने वोटों की गिनती 30 मानते हुए अपनी लिखित शिकायत को यह सोच वापस ले लिया कि वे चुनाव जीत रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि शक्ति सिंह गोहिल तो इसके बाद मतगणना केंद्र से बाहर भी आ गए। उन्हें बाहर जाने से यह कहते हुए रोका भी गया कि एक बार बाहर जाने के बाद उनकी एंट्री नहीं होगी। इस पर शक्ति सिंह ने कहा कि कोई दिक्कत नहीं है और वे बाहर चले गए। जब वोटों की गिनती हुई और तो वह 29 निकली। एक वोट को ‘टिक’ के चलते रद्द किया गया था। कांग्रेसियों ने दोबारा भी गिनती करवाई तो भी वोट 29 ही निकले। माना जा रहा है कि अगर कांग्रेसी अपनी लिखित शिकायत को वापस नहीं लेते तो विवाद बना रह सकता था।
बंसल बताते तो रद्द हो सकता था चुनाव
कांग्रेस के कुछ विधायकों का कहना है कि 10 जून को मतदान दोपहर करीब 2 बजे खत्म हो गया था। 89 विधायक अपनी वोट डाल चुके थे और महम विधायक बलराज कुंडू ने मतदान नहीं करने का निर्णय लिया हुआ था। उस समय तक बंसल को इस बात का आभास था कि किस विधायक ने बैलेट पेपर पर गलत टिक किया है। अगर वे पार्टी नेताओं को इस बारे में उसी समय सूचित करते तो कांग्रेसी भी भाजपा के केंद्रीय मंत्रियों के सुर में सुर मिला सकते थे। दरअसल, किरण चौधरी और बीबी बतरा की वोट रद्द करने का मुद्दा केंद्रीय चुनाव आयोग तक पहुंचा था। भाजपा के चार केंद्रीय मंत्रियों ने चुनाव आयोग से मुलाकात करके चुनाव को ही रद्द करने की मांग की थी। कांग्रेस विधायकों का कहना है कि अगर बंसल ने समय रहते बताया होता तो केंद्रीय चुनाव आयोग से मिलने वाला कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल भी भाजपा मंत्रियों के सुर में सुर मिलाते हुए चुनाव को रद्द करने की ही मांग कर सकता था। दोनों पक्षों की मांग पर आयोग चुनाव को रद्द भी सकता था।