सोनीपत, 25 अप्रैल (हप्र)
सोनीपत चीनी मिल में इस पिराई सत्र में बार-बार आ रही तकनीकी खामियों से परेशान मिल प्रशासन स्पेशल इंजीनियर्स की टीम से पूरे मिल का निरीक्षण करवाएगा ताकि खामियों को समय रहते दूर कर आगामी पिराई सत्र से पहले मिल को सही ढंग से तैयार किया जा सके। इसके लिए मिल प्रशासन पानीपत में नए चीनी मिल को स्थापित करने वाले इंजीनियर्स की सहायता लेगा। दरअसल, सोनीपत चीनी मिल स्थापित हुए कई दशक हो चुके हैं। शुरूआत में मिल की क्षमता 16 हजार क्विंटल प्रतिदिन गन्ने की पिराई की थी। परंतु कई साल पहले इसकी क्षमता को बढ़ाकर 22 हजार क्विंटल प्रतिदिन कर दिया गया। मगर मिल अपनी क्षमता के हिसाब से गन्ने की पिराई नहीं कर पा रहा है। मौजूदा पिराई सत्र में बार-बार आ रही तकनीकी खामियों की वजह से पिराई का काम बुरी तरह से प्रभावित रहा है।
दूसरी मिल में ट्रांसफर करना पड़ा गन्ना : सोनीपत चीनी मिल की पिराई क्षमता 22 हजार क्विंटल प्रतिदिन है। लेकिन मौजूदा पिराई सत्र में गन्ने की पिराई मिल की क्षमता के हिसाब से नहीं हो पा रही है। अब तक सोनीपत चीनी मिल में करीब 26 लाख क्विंटल गन्ने की ही पिराई हो पाई है। जबकि किसानों के साथ मिल प्रशासन ने 36 लाख क्विंटल गन्ने की बॉडिंग की थी। ऐसे में मजबूरी में सोनीपत चीनी मिल प्रशासन को करीब 7 लाख क्विंटल गन्ना दूसरी मिल में ट्रांसफर करना पड़ा।
किसानों के गन्ने की समय पर पिराई हो सके, इसके लिए पानीपत, गोहाना व करनाल चीनी मिल में गन्ना ट्रांसफर किया गया है। वहीं सोनीपत मिल में आ रही तकनीकी खामियों की समस्या का स्थायी समाधान निकालने के लिए स्पेशल इंजीनियर्स की टीम को बुलाया जाएगा, ताकि अगला पिराई सत्र में किसानों को किसी प्रकार की कोई परेशानी न झेलनी पड़े। – जितेंद्र जोशी, एमडी, सोनीपत चीनी मिल