सुनीता भुयान व रिंकू कालिया ने भारतीय विविधता का दिखाया सांस्कृतिक स्वरूप
राजेश शर्मा/हमारे प्रतिनिधि
फरीदाबाद, 12 फरवरी
38वां अंतर्राष्ट्रीय सूरजकुंड शिल्प मेला सांस्कृतिक विरासत को सहेजते हुए देश-दुनिया में हमारी संस्कृति के आदान-प्रदान का सशक्त माध्यम बन रहा है। विभिन्न देशों व अन्य राज्यों से आने वाले पर्यटकों को मेला परिसर में रोजाना सांस्कृतिक मंचों पर विख्यात आर्टिस्ट की प्रस्तुतियां देखने को मिल रही हैं। कला एवं सांस्कृतिक विभाग हरियाणा के तत्वावधान में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में पर्यटकों का अपार जनसमूह उमड़ रहा है। सांस्कृतिक संध्या बड़ी चौपाल पर आयोजित हुई जिसमें असम से आई सुप्रसिद्ध प्रियदर्शिनी पुरस्कार अवार्डी सुनीता भुयान ने अपनी बेहतरीन प्रस्तुति दी। वायलिन की सुरीली धुनों से मंगलवार शाम सूरजकुंड मेला परिसर तालियों की गडगड़ाहट से गूंज उठा और दर्शकों ने सुनीता भुयान की कला की खूब प्रशंसा की।
गौरतलब है कि मेला परिसर में 23 फरवरी तक प्रतिदिन मुख्य चौपाल व अन्य सांस्कृतिक मंचों पर देश-विदेश के प्रख्यात कलाकारों द्वारा प्रस्तुतियां दी जा रही हैं। हर शाम 7 बजे से देश के जाने-माने कलाकार अपनी गायकी व वाद्य यंत्रों के माध्यम से दर्शकों का मनोरंजन कर रहे हैं। मंगलवार को सांस्कृतिक संध्या में भारतीय वायलिन वादक सुनीता भुयान व लोक गायिका रिंकू कालिया ने अपने सुरीले गीतों व वाद्य यंत्रों से दर्शकों का मनोरंजन किया। मेले में मंगलवार को सांस्कृतिक संध्या में इंडो जैज फ्यूजन और विश्व लोक शैलियों की प्रस्तुति दी तो बड़ी चौपाल संगीत के रंग में रंग गई। सुनीता भुयान ने गंगा सिलोनी गाने को देश की अलग-अलग भाषाओं में गाया। साथ ही उन्होंने अष्ट लक्ष्मी प्रस्तुति के जरिए पूर्वोत्तर के राज्यों की संस्कृति की भी झलक दिखाई। इससे पहले सांस्कृतिक संध्या में लोक गायिका रिंकू कालिया ने अजीब दास्तां है ये, चार दिनां दा साथ हो रब्बा बड़ी लम्बी जुदाई व मैं आवांगी हवा बन के इत्यादि गीत, गजल और भक्ति गीतों से चौपाल में बैठे दर्शकों का मन मोह लिया।
आपणा घर में पारम्परिक हस्त निर्मित परिधानों व आभूषणों का जलवा
मेले में आपणा घर स्थित पैवेलियन में हरियाणवी कला और संस्कृति को आगे बढ़ा रहे पारंपरिक परिधानों का जलवा देखने को मिल रहा है। यह स्टाल हरियाणा सहित देश विदेशी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। स्टाल संचालिका अंजू दहिया अपने हाथ से बनाए दामण, चुन्नी, कुर्ती और अन्य परिधानों के जरिए ग्राहकों को न केवल परंपरा से जोड़ रही हैं, बल्कि फैशन के क्षेत्र में हरियाणवी कला को नया आयाम भी दे रही हैं। आपणा घर पैवेलियन का अवलोकन कर रही हरियाणा के झज्जर की सोमवती जाखड़, दादरी से डॉ. किरण कलकल, रोहतक से सुनीता दांगी, कविता रेवाड़ी, फरीदाबाद निवासी अलका और सुनीता शर्मा का कहना है कि सरकार मुख्यमंत्री नायब सैनी के नेतृत्व में हरियाणावी कला एवं संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए सराहनीय कार्य कर रही है। इस स्टाल पर उपलब्ध आभूषणों में झुमके, हंसली, बाजूबंद, चूड़ियां, बिछुए और नथ प्रमुख रूप से शामिल हैं।