अजय मल्होत्रा/हप्र
भिवानी, 26 मई
8 हजार आबादी वाले गांव धारेडू के उप स्वास्थ्य केंद्र में न बिजली है, पानी न बिल्डिंग और न ही बैठने की व्यवस्था है। यहां गर्भवती महिलाओं के लिए भी कोई निजिता नाम की चीज नहीं है। सरकार के समूचे हरियाणा में स्वास्थ्य सेवाएं उच्च स्तर की देने के दावे यहां पूरी तरह से फेल हैं।
पिछले लगभग 27 साल से स्वास्थ्य सब केंद्र का भवन जर्जर हालत में है। आंगनबाड़ी के महज एक कमरे में चलने वाले इस स्वास्थ्य केंद्र में आवश्यक सुविधाओं का भी भारी टोटा है। यहां का स्टाफ गांव की आंगनबाड़ी के 10 गुणा 10 कमरे में बैठने को मजबूर हैं। इस कमरे में न तो बिजली का कनेक्शन है और न ही पीने के पानी का। सब केंद्र में लगभग 7 कर्मचारी कार्यरत हैं जिसमें से 3 आशा वर्कर, एएनएम, एम.पी.एच.डब्ल्यू आदि शामिल हैं। जब ये सभी कमरे में होते हैं तो यहां आवश्यक जांच के लिए व टीकाकरण के लिए आने वाले जच्चा-बच्चा के बैठने का स्थान ही नहीं बन पाता।
1995 में भर गया था बाढ़ का पानी
ग्रामीणों ने बताया कि 1995 की बाढ़ के समय स्वास्थ्य केंद्र में पानी भर गया था, लेकिन तब से आज तक किसी ने इसकी सुध नहीं ली। ग्राम पंचायत ने वैकल्पिक तौर पर एक पुराने जर्जर भवन में स्वास्थ्य केंद्र शुरू करवा दिया जिसकी थोड़ी बहुत मरम्मत भी ग्राम पंचायत ने अपने फंड से की। यहीं दूसरे कमरे में आंगनबाड़ी केंद्र भी चालू है। ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने अस्थायी स्थान तो दे दिया लेकिन बिजली की व्यवस्था इसलिए नहीं हो पाई कि इसका खर्चा स्वास्थ्य विभाग देने को तैयार नहीं है और ग्राम पंचायत के पास भी ऐसा कोई खास फंड नहीं है कि बिजली का खर्चा वे अपनी जेब से दे पाएं।
क्या कहते हैं पूर्व सरपंच
गांव के पूर्व सरपंच पवन शर्मा का कहना है कि पिछले 27 वर्षों से एक जर्जर भवन में स्वास्थ्य केंद्र की वैकल्पिक व्यवस्था तो ग्रामीणों ने की थी। उन्हें उम्मीद थी कि स्वास्थ्य विभाग शीघ्र ही अपना भवन तैयार करवाएगा लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।
क्या कहते हैं मुख्य चिकित्सा अधिकारी
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. रघुवीर शांडिल्य का कहना है कि मामला उनके संज्ञान में है और उच्चाधिकारियों को भी ग्रामीणों की समस्याओं से अवगत करवाया गया है। शीघ्र ही गांव में हैल्थ वैलनेस सेंटर खोला जाएगा। इसकी मंजूरी शीघ्र आने की उम्मीद है।