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तस्वीरों में जिंदगी के रंग डाल देती है सिमरन

चित्रकला, मूर्तिकला समेत कई ललित कलाओं में निपुण कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की छात्रा
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बहुमुखी प्रतिभा की धनी सिमरन द्वारा बनाया मां और बच्चे के दुलार का ‘ममत्व’ शीर्षक का पोर्टेट। -हप्र
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नरेंद्र जेठी/निस

नरवाना, 5 मई

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सिमरन

शहर के पंजाबी चौक इलाके के मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मी सिमरन चित्रकला, मूर्तिकला, नृत्य, गीत, संगीत समेत कई ललित कलाओं में निपुण है। 22 वर्षीय सिमरन को ईश्वरीय वरदान है कि वह तस्वीरों में जान डाल देती है। उसे सबसे अधिक महारत पोर्टेट में है। वह किसी भी व्यक्ति का चेहरा देखकर चंद मिनटों में उसका चित्र बना सकती है। वह राष्ट्रीय नेताओं, सैन्य अधिकारियों, प्रसिद्ध अभिनेताओं व गायकों के चित्र बनाकर उन्हें भेंट कर चुकी है। प्रीतपाल सिंह के घर में दूसरे नंबर की सिमरन शुरू से ही मेधावी रही है। माता-पिता के अनुसार उसमें अदभुत सृजनात्मकता है। उन्हें पूरा विश्वास है कि उनकी यह बेटी कला क्षेत्र में उनका नाम रोशन करेगी।

चित्रकला ही सफर और मंजिल

बारहवीं में नॉन मेडिकल से पढ़ाई करने के बाद सिमरन ने कला को ही अपना क्षेत्र चुना और हिसार से ललित कला विषय लेकर स्नात्तक की पढाई पूरी की। वह कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय से ललित कला में ही स्नातकोत्तर कर रही है। उसके बनाये चित्रों को अनेक महत्वपूर्ण प्रदशर्नियों में दिखाया जा चुका है। वह अनेक पुरस्कार अपने नाम कर चुकी है।

समसामयिक व व्यंग्य चित्र बनाने में माहिर

सिमरन को समसामयिक विषयों पर ब्रश चलाना ज्यादा भाता है। कलाकार अपने परिवेश के प्रति संवेदनशील होता है और यह सब कुछ सिमरन की पेंटिंग्स में साफ झलकता है।

उसने बताया कि वह मौजूदा हालात, नारी के साथ गैरबराबरी, लाल फीताशाही पर तंज करने में भी माहिर है। उसके द्वारा बनाये कई चित्र तो ‘आग’ उगलते नजऱ आते हैं। वह कहती है कि सूक्ष्म स्थूल में कब बदल जाता है, उसे भी पता नहीं चलता।

राजा रवि वर्मा जैसा बनने का सपना

सिमरन कला क्षेत्र में ही अपना भविष्य बनाना चाहती है। वह कहती है कि परमात्मा सृजनकर्ता है। उसके पश्चात कलाकार ही सृजन करता है। इसलिए कला ईश्वर की अनुपम देन है। उसने चित्रकला का कोई औपचारिक प्रशिक्षण नहीं लिया है। कोई दैवीय शक्ति ही उससे यह सब करवाती है। उसका सपना राजा रवि वर्मा और मकबूल फिदा हुसैन जैसा चित्रकार बनकर भारत का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चमकाना है। वह छोटे बच्चों को भी कला और नृत्य की शिक्षा देती है। अब तक कई संस्थाओं से सम्मानित हो चुकी है।

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