यमुनानगर के गांव में प्राचीन सभ्यता के संकेत
शिव कुमार शर्मा/ट्रिन्यू
यमुनानगर, 6 अप्रैल
ग्राउंड पेनेट्रेटिंग राडार (जीपीआर) की जांच में यमुनानगर जिले के टोपरा कलां गांव में प्राचीन सभ्यता के अस्तित्व का संकेत मिला है। जनवरी 2025 में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), कानपुर के पृथ्वी विज्ञान विभाग की एक टीम द्वारा जीपीआर जांच की गई थी और बाद में उक्त जीपीआर जांच की रिपोर्ट पुरातत्व एवं संग्रहालय निदेशक, हरियाणा को सौंपी गई थी। आईआईटी की टीम में प्रो. जावेद एन मलिक, मिट्ठू ढाली और मोनिका कुमैया शामिल थे।
प्रोफेसर जावेद मलिक ने बताया कि टोपरा कलां गांव में तीन स्थानों पर जीपीआर सर्वेक्षण किया गया, जिसमें तीनों स्थानों पर गांव की झील/तालाब के नीचे और आसपास ईंट की संरचनाएं पाई गईं। झील/तालाब के पास पांच मीटर नीचे कुछ क्रॉस-सेक्शन संरचनाएं भी देखी गईं, जिससे इस बात की संभावना जताई जा रही है कि यह टोपरा कलां की सबसे पुरानी सभ्यता हो सकती है। प्रोफेसर जावेद मलिक ने बताया, ‘गांव के मंदिर के आसपास एकत्र किए गए प्रोफाइल से देखे गए झुकाव वाले जियोराडार प्रतिबिंबों से पता चलता है कि यह एक गुंबदनुमा संरचना हो सकती है।’
यमुनानगर के इनटैक (INTACH) के सह-संयोजक सिद्धार्थ गौरी ने बताया कि 19वीं शताब्दी में अलेक्जेंडर कनिंघम (1878-79) ने यहां टोपरा कलां का सर्वेक्षण किया था। सिद्धार्थ गौरी ने बताया कि उन्होंने यहां से दिल्ली तक स्थापित किए गए स्तंभ को प्रमाणित किया था। इसके अलावा, यहां पकी हुई ईंटों से बनी दो बड़ी चौकोर संरचनाएं भी देखी गई हैं। आज भी गांव में 2000 साल पुराने स्तूपों की ईंटें, हाथ के निशान वाली प्राचीन ईंटें देखने को मिलती हैं। उन्होंने बताया कि 2019 से हरियाणा के पर्यटन विभाग द्वारा 27 एकड़ में फैले ‘अशोक शिलालेख पार्क’ के विकास के लिए कई विकास पहल की गई हैं। अशोक शिलालेख पार्क के पीछे दिमाग लगाने वाले सिद्धार्थ गौरी ने बताया कि वर्तमान में पार्क में 30 फीट ऊंचा लोहे का अशोक चक्र रखा गया है, जो भारत में सबसे ऊंचा है और इसे 2019 में लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में सूचीबद्ध किया गया है। अशोक स्तंभ को 14वीं शताब्दी के दौरान फिरोज शाह तुगलक द्वारा टोपरा कलां गांव से कोटला, नई दिल्ली ले जाया गया था। इस स्तंभ को इसके रंग और दर्पण जैसी पॉलिश के कारण सोने का स्तंभ कहा जाता था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नयी दिल्ली में 2023 के जी-20 शिखर सम्मेलन का उद्घाटन इस स्तंभ पर शिलालेखों के साथ किया।
सिद्धार्थ गौरी ने आगे कहा कि टोपरा कलां को पहले निगमबोध (अर्थात बुद्ध का स्थान) के नाम से जाना जाता था। उन्होंने कहा, ‘यह हरियाणा में एकमात्र ऐसा स्थान है जिसका नाम बुद्ध के नाम पर रखा गया। यहां पहले चार बड़े स्तूप थे और ये चार स्तूप टोपरा कलां को हरियाणा और भारत के सबसे बड़े और सबसे महत्वपूर्ण बौद्ध स्थलों में से एक बनाते हैं।’