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उत्तराखंड ग्लेशियर से गुजरात के कच्छ तक होगा सरस्वती का प्रवाह

सरस्वती बोर्ड के साथ जियोलॉजिकल सर्वे आॅफ इंडिया व वाडिया इंस्टीट्यूट देहरादून बनाएंगे पैलियो चैनल
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चंडीगढ़ में एजेंसी अधिकारियों के साथ बैठक करते धूमन सिंह किरमच। -ट्रिन्यू
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चंडीगढ़, 15 मई (ट्रिन्यू)

उत्तराखंड के पूंछ बंदर ग्लेशियर से गुजरात के रण आफ कच्छ तक सरस्वती की जलधरा प्रवाहित होगी। हरियाणा सरस्वती हेरिटेज बोर्ड, जियोलॉलिकल सर्वे आफ इंडिया, वाडिया इंस्टीट्यूट देहरादून व सर्वे आफ इंडिया मिलकर सरस्वती के पैलियो चैनल बनाने का काम करेंगी। बृहस्पतिवार को सरस्वती हैरिटेज बोर्ड के मुख्यालय में बोर्ड के उपाध्यक्ष धुम्मन सिंह किरमिच की अध्यक्षता में आयोजित हुई बैठक में एक्शन प्लान तैयार किया गया।

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बैठक के दौरान उत्तराखंड के ग्लेशियर, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात तक पैलियो चैनल बनाने पर मंथन हुआ। डिप्टी चेयरमैन धुम्मन सिंह किरमिच ने बताया कि नायब सरकार ने नदियों के जीर्णोद्धार पर काम कर रही है, जिसका उद्देश्य हरियाणा के किसानों को सिंचाई के साधन मुहैया करवाना है। हरियाणा, राजस्थान और गुजरात में सरस्वती के प्रवाह को लेकर रिसर्च किया जा रहा है। मुख्य फोकस उत्तराखंड ग्लेशियर से लेकर आदिब्रदी तक जलप्रवाह को नियमित करने के साथ दूसरे प्रदेशों में भी सरस्वती के पानी को पहुंचाने पर सरस्वती हेरिटेज बोर्ड का फोकस है ताकि सरस्वती नदी का पानी 12 महीने प्रवाहित किया जाए। जीएसआई टीम ने पांच साल के शोध की प्रस्तुति दी। जीएसआई टीम ने 150 किलोमीटर लंबे यमुनानगर-कुरुक्षेत्र शुत्राना पैलियो चैनल और यमुना नदी से इसकी अपस्ट्रीम कनेक्टिविटी का भी भूभौतिकीय सर्वेक्षण के माध्यम का ब्योरा प्रस्तुत किया। इस अवसर पर भारतीय सर्वेक्षण विभाग चंडीगढ़ के निदेशक संजय कुमार, जीएसआई लखनऊ के डिप्टी डायरेक्टर संजीव कुमार, हिमाचल से सेवानिवृत मुख्य अभियंता जोगेंद्र चौहान, सरस्वती बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, कुमार सुप्रवीन, वित्त अधिकारी अनिल कुमार, अधीक्षक अभियंता अरविंद कौशिक, रिसर्च आफिसर डॉ. दीपा नथालिया प्रमुख रूप से मौजूद रहीं।

सरस्वती, यमुना, मारकंडा व टांगरी केवल बरसाती नदी

धुम्मन सिंह ने बताया कि बताया कि अभी सरस्वती, यमुना, मारकंडा व टांगरी ही बरसाती नदी है। सरस्वती में 12 महीने पानी प्रवाहित करने के लिए उत्तराखंड व हिमाचल की नदी चैनल पर रिसर्च किया जा रहा है। उन्होंने बताया गया कि यमुना और सतलुज दोनों पैलियो चैनल ने सरस्वती नदी के निर्वहन में योगदान दिया। बैठक में विवरण के लिए जीएसआई के पांच साल के अध्ययन के निष्कर्षों की जांच करने का सुझाव दिया।

कुओं व निजी बोरवेल का डाटा होगा एकत्रित

किरमिच ने हरियाणा के कुछ हिस्सों में अध्ययन के लिए ज्ञापन की वर्तमान स्थिति के बारे में जानकारी ली, जिसमें उत्तराखंड में बंदर पूंछ ग्लेशियर व उसके आगे का सरस्वती का मार्ग व उद्गम अनुमान के लिए तलछट की ड्रिलिंग और समस्थानिक विश्लेषण शामिल है। सर्वे ऑफ़ इंडिया ने बताया कि उनके पास पिछले 150-200 वर्षों का जलस्तर का डाटा है। सरस्वती पर शोध और जीएसआई के अन्य उपयोगों के लिए जल स्तर के आंकड़े बहुत उपयोग होंगे। हरियाणा सरकार, जल जीवन मिशन, ईजीडब्ल्यूबी और निजी कुओं द्वारा ड्रिल किए गए बोरवेल से लॉग का डेटा एकत्र करने की भी सलाह दी। यह डेटा सरस्वती नदी के पैलियो चैनल को चित्रित करने में बहुत उपयोगी होगा।

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