जितेंद्र अग्रवाल/हप्र
अम्बाला शहर, 19 सितंबर
रोजमर्रा के जरूरी सामानों और करियाना का सामान 40 प्रतिशत तक बढ़ गया है। महंगाई की मार से आम आदमी परेशान है। एक बार फिर से तेल से लेकर चीनी तक और आटा से लेकर चावल तक की कीमतों में काफी उछाल आया है। बीते 20 दिन में सरसों के तेल की कीमत 20 रुपए बढ़ गई है। पैकेज्ड तेल की न्यूनतम कीमत 165 रुपए से बढ़कर 185 रुपए हो गई है। खुदरा आटे की कीमत में भी दो से ढाई रुपए प्रतिकिलो और ब्रांडेड आटे में 3 से 4 रुपए की बढ़ोतरी हुई है। बढ़ती महंगाई के कारण घर का बजट बिगड़ गया है। रसोई का बजट प्रति महीना 1500 से 2000 रुपए बढ़ गया है।
वजन भी हो गया कम : नमक, साबुन की टिकिया, बिस्कुट के दाम स्थिर हैं, लेकिन स्कीम और डिस्काउंट को वापस ले लिया गया है। पैकेट में मिलने वाले सामान का वजन कम हो गया है। 70 ग्राम की जगह 60 ग्राम ही मिल रहा है। तेल के दाम बढ़ने से स्नैक्स की वस्तुएं 8-10 प्रतिशत महंगी हो गयी हैं। डिटर्जेंट पाउडर और लिक्विड के दाम में 5-7 परसेंट का उछाल आया है। चायपत्ती के दाम पर 15-20 की बढ़ोतरी हुई है। अक्तूबर में भी लोगों को राहत मिल पाना मुश्किल है।
शहर की गृहिणी प्रियंका कहती हैं कि रोजमर्रा की घरेलू खाद्य पदार्थों की कीमतों पर सरकार कर नियंत्रण नहीं है, जिससे रसोई का बजट बिगड़ता जा रहा है। तेल और चीनी का प्रयोग सभी खाद्य वस्तुओं में होता है। महंगाई की मार से मध्यम वर्ग के सामने आए दिन दिक्कत बनी रहती है। पटेल नगर निवासी निकिता गोयल महंगाई बढ़ने से परेशान हैं। कहती हैं कि दो साल में तेल के दामों में दोगुनी वृद्धि हो गई है। पिछले दिनों में लॉकडाउन का असर आम लोगों की जिंदगी पर हर तरीके से भारी पड़ रहा है। इस संकट में परिवार की आय कम और बढ़ती महंगाई से घर का बजट गड़बड़ हो गया है।
ये हैं कारण
बार-बार पेट्रोल-डीजल के दामों में बढ़ोतरी होना।
जरूरी सामान का भंडारण किया जाना।
सड़क मार्गों द्वारा जरूरी सामान की सप्लाई होना।
अफगानिस्तान में तालिबान राज आने से सूखे मेवों के भाव आसमान छूने लगे हैं।
थोक दाम प्रति क्विंटल रुपयों में
खाद्य पदार्थ अगस्त सितंबर
चीनी 3450 4000
आटा 1950 2160
चावल परमल 2700 2800
उड़द दाल 9000 9800
मसूर दाल 8000 9800
चना दाल 6200 6600
सरसों का तेल 165 185/लीटर
नकली सामान बेचने वाले होंगे सक्रिय
अम्बाला होलसेल करियाना एवं ड्राईफ्रूट एसोसिएशन के महासचिव पवन गुप्ता का कहना है कि पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों की वजह से करियाना सामानों के दाम बढ़ रहे हैं। सरकार की सुस्ती की वजह से रसोई की वस्तुओं के दाम बढ़ रहे हैं। अक्तूबर में भी राहत मिलती नहीं दिख रही। सरकार ने जब से 5 ट्रिलियन इकोनॉमी की बात कही है, तब से महंगाई ज्यादा बढ़ने लगी है। भाव बढ़ने के साथ ही नकली सामान बेचने वाले फिर से सक्रिय हो चुके हैं, जिन पर मूल्यों पर नियंत्रण रखकर ही काबू किया जा सकता है। महंगाई बढ़ने का असर अब सेहत पर भी दिखेगा। व्यापारियों का मानना है कि मस्टर्ड ऑयल महंगा होने से कुछ लोग नकली तेल बाजार में उतारेंगे और लोगों की सेहत से खिलवाड़ करेंगे।
30 से 40 फीसदी तक बढ़ा बजट
आम आदमी के घर का बजट अभी 30-40 प्रतिशत तक बढ़ गया है। समाजशास्त्री हरवेंद्र बागड़ी कहते हैं कि घर का बजट, महंगाई के लगातार और निजी कंपनियों में वेतन में कटौती से भी प्रभावित हुआ है। स्कूल फीस से लेकर पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ चुके हैं। अर्थव्यवस्था अब तक कोरोना के प्रभाव से बाहर नहीं आ सकी है। महंगाई से घर के बजट बिगड़ने पर महिलाओं का कहना है कि सरकार अब तो कुछ करो, रसोई का बजट अब संभालना मुश्किल हो गया है।