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सर्न टीम से जुड़े पीयू के वैज्ञानिकों को ब्रेकथ्रू पुरस्कार

चंडीगढ़, 8 अप्रैल (ट्रिन्यू) पंजाब विश्वविद्यालय के भौतिकी विभाग के चार कार्यरत फैकल्टी मेंबर्स, छह सेवानिवृत्त प्रोफेसरों और कई रिसर्च स्कॉलरों को बड़े सर्न में चल रहे महाप्रयोग में सहयोगी के रूप में अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिली है, जिन्हें सामूहिक रूप...
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स्विटजरलैंड के सर्न में चल रहे महाप्रयोग में शामिल पंजाब विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक और शोधार्थी।
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चंडीगढ़, 8 अप्रैल (ट्रिन्यू) पंजाब विश्वविद्यालय के भौतिकी विभाग के चार कार्यरत फैकल्टी मेंबर्स, छह सेवानिवृत्त प्रोफेसरों और कई रिसर्च स्कॉलरों को बड़े सर्न में चल रहे महाप्रयोग में सहयोगी के रूप में अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिली है, जिन्हें सामूहिक रूप से मौलिक भौतिकी में 2025 ब्रेकथ्रू पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह सम्मान 2015 से 2024 के बीच लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर (एलएचसी) में की गई अभूतपूर्व खोजों के लिये प्रदान किया गया है। 30 लाख डॉलर का यह पुरस्कार सर्न के एलएचसी में चार प्रमुख प्रयोगों - एलिस, एटलस, सीएमएस और एलएचसीबी के लिए दिया गया है। पंजाब विश्वविद्यालय ने एलिस और सीएमएस सहयोग में अपनी भागीदारी के माध्यम से इस वैश्विक प्रयास में निरंतर योगदान दिया है। पीयू टीम में मौजूदा और रिटायर हो चुके फैकल्टी मैंबर शामिल हैं जो इन अंतर्राष्ट्रीय शोध प्रयासों में सक्रिय योगदान दे रहे हैं। वर्तमान संकाय सदस्य डॉ. लोकेश कुमार (एलिस में पीयू टीम लीड), प्रो. विपिन भटनागर (सीएमएस में पीयू टीम लीड), डॉ. सुशील चौहान और डॉ. सुनील बंसल (सीएमएस) अपने पूर्ववर्ती प्रोफेसर एम.एम. अग्रवाल, जे.एम. कोहली, सुमन बाला बेरी, जेबी सिंह, मंजीत कौर और एके भाटी की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं, जो अध्यापन कार्य से सेवानिवृत्त हो चुके हैं। डॉ. लोकेश कुमार के नेतृत्व में पीयू की एलिस टीम ने कई महत्वपूर्ण रन-2 डेटा प्रकाशनों में प्रमुख भूमिका निभाई है। डॉ. कुमार वर्तमान में सीईआरएन में एलिस सहयोग के संपादकीय बोर्ड में कार्यरत हैं और इससे पहले दो वर्षों तक भारत-एलिस सहयोग के उप प्रवक्ता के पद पर कार्यरत थे। सीएमएस समूह भारतीय विश्वविद्यालय प्रणाली में सबसे पहले समूहों में से एक है, जिसने सीएमएस के लिए डिटेक्टर घटकों का अनुसंधान एवं विकास तथा निर्माण कार्य शुरू किया। पीयू में एक सीएमएस प्रमाणित डिटेक्टर असेंबली और परीक्षण प्रयोगशाला स्थापित की गई है, जो अभी भी सीएमएस उन्नयन के लिए डिटेक्टरों का उत्पादन कर रही है।वर्तमान और पूर्व पीयू शोधकर्ताओं को बधाई देते हुए कुलपति प्रो. रेणु विग ने कहा, 'यह सम्मान कण भौतिकी अनुसंधान में पंजाब विश्वविद्यालय के चार दशकों के नेतृत्व को दर्शाता है। 1980 के दशक में सर्न के साथ हमारी पहली भागीदारी से लेकर आज के अत्याधुनिक योगदान तक, हमारे संकाय और शोध विद्वानों ने वैज्ञानिक उत्कृष्टता की एक असाधारण विरासत का निर्माण किया है।' पीयू शोधकर्ताओं ने डिटेक्टर विकास, डेटा विश्लेषण और सैद्धांतिक रूपरेखा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पुरस्कार राशि से उन्नत अनुसंधान को बढ़ावा मिलेगा तथा पीयू के छात्रों के लिए सर्न में वैश्विक सहयोग में भाग लेने के अवसरों का विस्तार होगा।

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