करनाल, 24 अप्रैल (हप्र)
वन विभाग प्रदूषण मुक्त हरियाणा के सपने को साकार करने के लिए आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला के समापन सत्र में प्रधान मुख्य वन संरक्षक जगदीश चन्द्र ने कहा कि इस तरह की कार्यशाला की उपयोगिता तभी सार्थक हो सकेगी जब इसमें विभाग के साथ जन समुदाय की भागीदारी बढ़ेगी।
कार्यशाला में शामिल होने आये विभिन्न संस्थाओं के पदाधिकारियों से सहयोग की अपील करते हुए उन्होंने कहा कि कार्यशाला से प्राप्त ज्ञान को हमारे अधिकारी खेत की मेड़ तक ले जाने की कोशिश करेंगें। महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय के डीन राजेश भल्ला ने कहा कि जब भी पौधरोपण करें तो मिट्टी, स्थान और वातावरण को ध्यान में रखकर करें।
डा. भल्ला ने अपने दूसरे वक्तव्य में लैंडस्केपिंग-एन एड टू कमबैट पोल्यूशन पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि प्रदूषण से निपटने के लिए बहुत सारे पौधे होते हैं, अत: प्रदूषणयुक्त स्थान पर पौधरोपण करने के लिए पौधों का चुनाव एक जरूरी कदम है।
केन्द्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक राकेश वन्याल ने कहा कि पौधरोपण करते समय सबसे पहले मिट्टी के बारे में जानकारी लें। सेफ यूज ऑफ वेस्ट वाटर इन अरवन फारेस्ट लैंडस्केप पर डा. आर के यादव अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा किस प्रकार से स्वयं द्वारा प्रयोग किये गंदे पानी का पौधरोपण के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।
इस अवसर पर वन विभाग के एपीसीसीएफ नवदीप हुड्डा, घनश्याम शुक्ला, टीपी सिंह, अतुल श्रेयस्कर, एमएल राजवंशी, मुख्य संरक्षक वन जी रमन, वासवी त्यागी, करनाल के वन मंडल अधिकारी जय कुमार, सुश्री निवेदिता सहित राज्यभर से आये वन मंडल अधिकारी, रेंज आफिसर विशेष रूप से उपस्थित थे।