फरीदाबाद, 30 मार्च (हप्र)
अंतर्राष्ट्रीय सूरजकुंड मेला अब पूरे शबाव पर पहुंच चुका है। दिन के मुकाबले शाम को पर्यटकों की संख्या में भारी इजाफा हो रहा है। मेले की सांस्कृतिक संध्या में 1857 की क्रांति को लेकर नाटक का मंचन कलाकारों द्वारा किया गया, जिसमें अंग्रेजों के जुल्मों की दास्तां देख भावुक लोग भावुक हो गए। लगभग 45 मिनट तक चले इस नाटक में हमारे पूर्वजों के त्याग व बलिदान को मंच के माध्यम से देखकर दर्शक भावुक नजर आए। इस नाटक में हरियाणा के वीरों की 1857 के विद्रोह में भूमिका को दर्शाया गया।
सलीम हरियाणवी सहित अन्य कलाकारों ने दी प्रस्तुतियां
मुख्य चौपाल पर कलाकार सलीम हरियाणवी ने वीर शहीदों की याद में गीत के बोल-पगड़ी सर पे तू बंधवा ले, तेरे कद नै ऊंचा ठावेगी, या पगडी हरियाणे की दुनिया मै छावेगी या पगड़ी शान सै म्हारी या पगड़ी आन सै म्हारी गीत की प्रस्तुति देकर मेले में देश के विभिन्न प्रदेशों से आए पर्यटकों को भाव.विभोर कर दिया। गुलशन बाबा द्वारा लिखित इस गीत को सलीम हरियाणवी ने अपने बोल देकर हरियाणा के वीरों की गाथाओं का वर्णन बड़े ही सुंदर ढंग से किया। इसी क्रम में मुख्य चौपाल पर आयोजित कार्यक्रम की शृंखला को आगे बढ़ाते हुए पटियाला से आए भांगड़ा नृत्य विधा के ग्रुप लीडर मनप्रीत सिंह ने पंजाबी लोक नृत्य भंगड़ा प्रस्तुत किया।
दिखी मिनी भारत की झलक
मेले में आज छोटी चौपाल में हुए सांस्कृतिक कार्यक्रम में उस वक्त मिनी भारत की झलक देखने को मिली जब फरीदाबाद जिले के विभिन्न स्कूलों ने देश के अलग-अलग राज्यों के सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी। एक से बढक़र एक रंगारंग प्रस्तुति देख दर्शक अपने स्थान पर खड़े होकर झूमते नजर आए। हरियाणा की छोरियों ने जब अन्य प्रदेशों की लोक संस्कृति को मंच पर नृत्य के माध्यम से प्रस्तुत किया तो दर्शकों ने लगातार तालियों की गडग़ड़ाहट से कलाकारों का उत्साहवर्धन किया। सभी प्रदेशों की लोक संस्कृति को मंच के माध्यम से इस तरह से प्रस्तुत किया कि जैसे वे फरीदाबाद के नहीं बल्कि उसी प्रदेश के निवासी हैं। विभिन्न प्रदेश के लोक वाद्य यंत्र तथा वहां की वेशभूषा धारण किए इन बच्चों ने देश की विभिन्न लोक कला एवं सांस्कृतिक धरोहर को दर्शकों के सामने प्रस्तुत किया।