हरियाणा में सरकारी नौकरियों में भर्ती में कथित भ्रष्टाचार का मुद्दा गरम है। आरोप-प्रत्यारोप, धरना-प्रदर्शनों के बाद इसकी गूंज विधानसभा के शीतकालीन सत्र में भी सुनाई दे रही है। हालांकि, भर्तियों में भ्रष्टाचार के मामलों में सरकार ने कुछ अधिकारियों समेत कई लोगों को निलंबित व गिरफ्तार भी किया है, पर विपक्ष इसे लीपापोती की कोशिश मानता है। इस मुद्दे पर विपक्ष लगातार हमलावर है, जबकि भाजपा नीत हरियाणा सरकार का दावा है कि उसने पारदर्शिता बरतते हुए घोटालों का पर्दाफाश किया और आरोपियों के खिलाफ त्वरित कठोर कार्रवाई की। विपक्ष के आरोपों और सरकार के दावों पर हरियाणा भाजपा अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ से ‘दैनिक ट्रिब्यून’ ने बातचीत की। पेश हैं उनसे बातचीत के प्रमुख अंश।
हरियाणा सरकार पर भर्तियों में गड़बड़ी के आरोप लग रहे हैं?
सरकार मैरिट का पालन व सुचिता की प्रतिबद्धता पर काम कर रही है और इसकी सराहना हो रही है। गड़बड़ी तो तब कही जाती जब सरकार जानकारी होने के बाद भी कुछ कमियों के मामलों को छिपाती, सरकार ने छिपाने के बजाय कार्रवाई की है। विपक्ष सरकार पर निरर्थक हमले कर रहा है।
सरकार इतनी ही पारदर्शिता से काम कर रही है तो फिर ये गड़बड़ियां कैसे होती हैं?
सरकारें अनेक स्तरों पर काम करती हैं। मानव शरीर की तरह रोग संस्थाओं के ढांचे में भी आते हैं। मानव शरीर की तरह संस्थाओं का भी इलाज किया जाता है। जैसे मानव शरीर में कुछ विकार होने पर हम उसका निराकरण करते हैं, ऑपरेशन को भी उचित मानते हैं, वैसे ही संस्थाओं में भी उपचार को सही परिप्रेक्ष्य में देखा जाये। पूर्णता तो सिर्फ ईश्वर के स्तर पर होती हैं। मानव तो सदा सुधारों से आगे की ओर बढ़ता है।
कांग्रेस का कहना है कि उसके शासन में सिस्टम दुरुस्त था, क्या कहेंगे?
एकदम लचर रहा कांग्रेस की हुड्डा सरकार का सिस्टम। अगर सिस्टम दुरुस्त ही होता तो कांग्रेस के शासनकाल की 12 भर्तियों को रद्द क्यों किया जाता? इनका रद्द होना तत्कालीन सरकार की कार्यप्रणाली व नीयत को स्पष्ट कर देता है। उनकी कार्यप्रणाली के कारण ही 17 हज़ार कर्मचारियों का भविष्य दांव पर लग गया। वर्ष 2006 में 1983 पीटीआई, 2007 में 786 कैनाल पटवारी, 2011 में 437 लोअर डिविजन कलर्क, 2013 में 146 कंप्यूटर ऑपरेटर, 2013 में 102 एग्रीकल्चर इंस्पेक्टर, 2013 में 381 जेई, 2013 में 1586 सहायक लाइनमैन और 188 ऑपरेटर आदि अनेक नौकरियां कोर्ट ने रद्द कर दी हैं। इसका अर्थ साफ है कि भर्ती प्रक्रिया में सुचिता व नियमों की अनदेखी हुई।
हुड्डा सरकार ने तो कच्चे कर्मचारियों को भी पक्का कर दिया था?
किया था, लेकिन कच्चे और अनमने तरीके से। सबको मालूम है कि हुड्डा सरकार द्वारा कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने वाली नीति को कोर्ट ने रद्द कर दिया था। यही नहीं, 4645 कर्मचारियों को 6 महीने में निकालने का आदेश भी दिया था। हमारी सरकार ने उन्हें समायोजित किया। 9455 जेबीटी शिक्षकों और चौटाला सरकार में भर्ती किए 3500 सिपाहियों को हुड्डा सरकार ने निकाल दिया था। वर्तमान सरकार ने इन सबको समायोजित किया। असल में नौकरियों में सुचिता की हमारी नीति से विपक्षी परेशान हैं। विपक्षी नेता सरकार की बिना खर्ची पर्ची की छवि को धूमिल करने के लिये एक स्वर में राग अलाप रहे हैं।
भर्ती में पारदर्शिता के लिए आपकी सरकार ने क्या किया?
हमारी सरकार ने अनेक कदम उठाये। साक्षात्कार के अंक घटाकर लिखित परीक्षा के अंक 90% प्रतिशत किये। अनुभव, सामाजिक, आर्थिक पिछड़ेपन को 10% अंकों तक सीमित रखा गया। पेपर लीक व नकल के दोषी को सजा के प्रावधान किये। एकल पंजीकरण की सुविधा शुरू की गई। आउट सोर्सिंग की सेवाओं में ठेका प्रथा बंद करने के कदम उठाये जा रहे हैं। भाजपा नीत मनोहर सरकार ने 84 हज़ार युवक व युवतियों को सरकारी नौकरी दी है। हर बार नौकरी का परिणाम युवाओं में एक ख़ुशी की लहर लेकर आता है। साधारण परिवारों के साधारण, लेकिन मेहनती युवक युवतियां नौकरी पाते हैं। समाज में धनात्मक भाव का संचार होता है। युवाओं में पढ़ने की लगन बढ़ी है। कोचिंग सेंटर युवक-युवतियों से भरे पड़े हैं। हमने मेरिट के सम्मान को स्थापित किया है। मेरिट के आदर से सरकार की सुचिता के प्रति प्रतिबद्धता की छवि बनी है। विपक्षी इस छवि से आहत हैं। सरकार ने संस्थाओं का इलाज किया है। संस्थाओं की बीमारियों का इलाज आवश्यक है। सरकार की इसके लिए प्रतिबद्धता जनता में भरोसा उत्पन्न कर रही है।