हरेंद्र रापड़िया/निस
सोनीपत, 9 नवंबर
संयुक्त किसान मोर्चा की कुंडली-सिंघु बाॅर्डर पर मंगलवार को आयोजित बैठक हंगामेदार रही। चढ़ूनी व टिकैत समर्थक बैठक में बड़ा फैसला लेने की मांग करते हुए मोर्चा कार्यालय के बाहर हूटिंग करते रहे। चढ़ूनी गुट के समर्थकों ने सरकार पर दबाव बनाने के लिए दिल्ली कूच के लिए नारेबाजी की। बाद में बैठक में फैसला लिया गया कि 23 नवंबर से लेकर 26 नवंबर तक सभी मोर्चों पर किसानों की संख्या बढ़ाई जाएगी। इसके बाद 29 नवंबर को शुरू होने वाले शीतकालीन सत्र के लिए मोर्चों से 500-500 किसानों के जत्थे ट्रैक्टर-ट्रालियों में सवार होकर संसद कूच करेंगे। बैठक में एसकेएम नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल, किसान नेता राकेश टिकैत, गुरनाम चढ़ूनी के अलावा पंजाब की 32 जत्थेबंदियों के प्रमुखों ने हिस्सा लिया। बैठक में चढ़ूनी ने दिल्ली कूच का प्रस्ताव रखा। कई किसान नेताओं ने भी अपने-अपने प्रस्ताव रखे, जिनके तहत बड़ा फैसले लेने की सलाह दी गई। साढ़े 3 घंटे चली बैठक के बाद मोर्चा के प्रमुख जगजीत सिंह डल्लेवाल ने मीडिया को बताया कि 26 नवंबर को किसान मोर्चा के आंदोलन को दिल्ली की सीमाओं पर एक वर्ष पूरा हो रहा है। वहीं, 29 नवंबर से संसद सत्र शुरू हो रहा है। ऐसे में 23 से 26 नवंबर तक सभी मोर्चों पर किसानों की संख्या बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा और फिर 29 नवंबर से संसद कूच किया जाएगा। रोजाना 500-500 किसानों के जत्थे ट्रैक्टर ट्रालियों में सवार होकर शांतिपूर्ण और अनुशासन के साथ संसद जाएंगे। संसद के लिए टिकरी व गाजीपुर बॉर्डर मोर्चा से रवाना होंगे, क्योंकि वहां पर रास्ते खुले हुए हैं। जत्थों में महिलाओं की भी मौजूदगी रहेगी। इससे पहले 26 नवंबर तक पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान से दिल्ली के सभी मोर्चों पर भारी भीड़ जुटेगी। वहां बड़ी सभाएं भी होंगी।
बैठक के बीच टिकैत दूसरे कमरे गए : बैठक के बीच ही जब राकेश टिकैत उठकर दूसरे कमरे में चले गए तो बाहर चढ़ूनी समर्थकों ने सवाल उठाते हुए नारेबाजी शुरू कर दी। चढ़ूनी समर्थकों ने कहा कि बैठक के बीच में टिकैत मीडिया से बात करने क्यों जा रहे हैं। मीडिया अहम है या फिर मोर्चा की बैठक।
मरने वालों में ज्यादातर सीमांत किसान :
किसान मोर्चा ने दावा किया है कि पंजाबी विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के पूर्व प्रोफेसर लखविंदर सिंह और पंजाबी विश्वविद्यालय के गुरु काशी परिसर, बठिंडा में सामाजिक विज्ञान के सहायक प्रोफेसर बलदेव सिंह शेरगिल द्वारा किए एक अध्ययन से पता चला है कि आंदोलन में मरने वाले अधिकांश किसान छोटे और सीमांत किसान थे। उनके स्वामित्व वाले खेत का औसत रकबा 2.26 एकड़ है। यह अध्ययन इस बार-बार होने वाले दावे को खारिज करता है कि कृषि आंदोलन के पीछे अमीर किसान हैं।
लखीमपुर केस मेें सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हो जांच
एसकेएम ने कहा कि लखीमपुर खीरी हत्याकांड की फोरेंसिक जांच से पता चला है कि घटना में आशीष मिश्रा टेनी और उनके सहयोगी की बंदूक से गोली चलाई गई थी। यह एसकेएम के रुख की पुष्टि करता है कि किसानों पर गोली चलाई गई थी और स्पष्ट रूप से राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे के दोष को साबित करता है। एसकेएम फिर से अजय मिश्रा टेनी की बर्खास्तगी और गिरफ्तारी, और सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच की अपनी मांग दोहराता है।
‘रामचंद्र जांगड़ा, अरविंद शर्मा को किया जाये गिरफ्तार’
हिसार (हप्र) : अपनी विभिन्न मांगों के समर्थन में किसान सभा का बेमियादी धरना मंगलवार को 196वें दिन भी जारी रहा। धरने को संबोधित करते हुए जिला प्रधान शमशेर सिंह नम्बरदार ने कहा कि रोहतक के सांसद अरविंद शर्मा का बयान देश व समाज के लिए ठीक नहीं हैं। किसान सभा सरकार से मांग करती है कि सांसद रामचंद्र जांगड़ा व अरविंद शर्मा को गिरफ्तार किया जाये।