चंडीगढ़, 9 मई (ट्रिन्यू)
हरियाणा के दो आईएएस अधिकारियों – डॉ. अशोक खेमका और संजीव वर्मा के बीच चल रही ‘जंग’ अब सोशल मीडिया पर भी चल पड़ी है। दोनों अधिकारी ट्विटर पर एक-दूसरे पर हमला कर रहे हैं। इसके पीछे उनकी मंशा कुछ भी हो, लेकिन जिस तरह से दोनों ने एक-दूसरे के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई है, उससे साफ है कि उनके ट्वीट भी इसी जंग की ओर संकेत कर रहे हैं।
खेमका ने रविवार को राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर के कविता संग्रह रश्मिरथी से दो पंक्तियों को लेकर ट्वीट किया था। ‘जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है।’ इसी ट्वीट में उन्होंने, ‘फिर साजिशन कीचड़ उछाला जाने लगा। यह इम्तहान भी स्वीकार’ भी लिखा है।
सोमवार को संजीव वर्मा ने भी दिनकर की ही कविता से पलटवार किया। उन्होंने लिखा, ‘हाथ कंगन को आरसी क्या – परिणाम सच्चाई उजागर करेगा। सहज जलधारा के आवेग में बाधा बने पर्वत स्वमेव दरकने लगते हैं, साजिशन नहीं’।
दोनों ही आईएएस अफसरों के बीच चल रहे इस संग्राम को लेकर राज्य की ब्यूरोक्रेसी और सियासी गलियारों में चर्चा है। खेमका के चाहने वाले कम हैं, उनके खिलाफ बोलने वालों की फेहरिस्त लम्बी है। अब इसके पीछे कारण चाहे जो भी हो लेकिन दबी जुबान में कई बड़े राजनेता भी बिना नाम लिख चुटकियां ले रहे हैं। प्रदेश के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज दोनों अफसरों के बीच सुलह की कई कोशिशें कर चुके हैं, लेकिन फिलहाल बात बनती नहीं दिखती। दरअसल, विज से भी एक ‘गलती’ यह हुई कि वे खेमका के समर्थन में पंचकूला के पुलिस उपायुक्त के दफ्तर तक जा पहुंचे। इतना ही नहीं, खेमका की शिकायत पर विज के लिखित आदेश के बाद संजीव वर्मा के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हो गई। यह बात अलग है कि खेमका के खिलाफ संजीव वर्मा ने भी पहले से ही पंचकूला के सेक्टर-5 पुलिस स्टेशन में शिकायत दी हुई थी। पुलिस ने दोनों मामलों में केस दर्ज करके जांच शुरू कर दी है।
मामला हाई-प्रोफाइल होने के चलते पुलिस भी जल्दबाजी में कुछ नहीं करना चाहती। फिलहाल जांच के नाम पर दोनों ही एफआईआर ‘ठंडे’ बस्ते में हैं। विज का खेमका के साथ पुलिस में जाना और शिकायत दर्ज करवाना संजीव वर्मा को रास नहीं आया। शायद, यही कारण रहे होंगे कि विज की मध्यस्थता के बाद भी वे समझौते के लिए राजी नहीं हुए।