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नहीं मिली ‘मुक्ति’... ‘मुर्दा’ पड़ा है श्मशान घाट का गैस फायर चैंबर

पंचकूला के सेक्टर 20 के इस क्रीमेटोरियम में मात्र 5 शव जले, खर्च कर दिए 70 लाख
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नगर निगम पंचकूला
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एस. अग्निहोत्री/ हप्र

पंचकूला, 8 दिसंबर

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जहां पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन होने के बाद 'मुक्त' होते हैं, वहीं व्यवस्था के चंगुल में फंसी शवदाह तकनीक का चैंबर 'मुर्दा' ही पड़ा है। जिस उपयोग के लिए इसे स्थापित किया गया, वह धरा ही रह गया। इसे नगर निगम की लापरवाही कहें या अनदेखी कि लाखों रुपये खर्च होने के बावजूद गैस फायर चैंबर का कोई इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है। असल में कोरोना काल में पंचकूला के सेक्टर-20 स्थित श्मशान घाट में गैस फायर चैंबर शुरू किया गया था। महामारी के दौरान दम तोड़ने वालों का अंतिम संस्कार करने के लिए स्थानीय शहरी निकाय विभाग ने प्रदेश के 10 शहरों में ऐसे चैंबर

स्थापित करने की योजना बनाई थी। सबसे पहले पंचकूला के सेक्टर 20 स्थित श्मशान घाट में यह गैस फायर चैंबर लगाया गया था। इस पर लगभग 67 लाख रुपये खर्च हुए थे, लेकिन इसमें महज पांच-छह शवों का ही दाह हो पाया। फिर इसका इस्तेमाल नहीं हुआ और यह कंडम

पड़ा हुआ है।

नगर निगम हर मोर्चे पर फेल : विधायक

पंचकूला के विधायक चंद्रमोहन ने आरोप लगाया कि पंचकूला नगर निगम हर मोर्चे पर फेल है। उन्होंने कहा कि 70 लाख रुपए खर्च कर शुरू किया गया गैस फायर चैंबर न चलना नगर निगम की लापरवाही को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि पब्लिक वेलफेयर के लिए कई चीजे घाटे में भी चलानी पड़ती हैं। इसलिए पंचकूला के सेक्टर-20 स्थित श्मशान घाट में गैस फायर चैंबर पर पूरा स्टाफ मुहैया करवा इसे चालू किया जाना चाहिए।

ऑपरेटर उपलब्ध नहीं कराए गए

सूत्रों का कहना है कि चैंबर चलाने के लिए जरूरी ऑपरेटर उपलब्ध नहीं कराए गए। ऑपरेटर के अलावा दो और कर्मी की भी जरूरत होती है। बताया गया कि कोरोना काल में इसमें संक्रमित शव का नि:शुल्क दाह संस्कार करने की योजना थी, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। सेक्टर 20 की श्मशानघाट में तैनात सेवादार ओम प्रकाश ने बताया कि प्रयोग न करने के कारण गैस फायर चैंबर खराब हो गया है। उन्होंने बताया कि इसमें दाह संस्कार करने के लिए समय कम लगता है और लकड़ी की बचत होती है। लेकिन यह चलता ही नहीं है।

ज्यादा खर्चीला है : मेयर

पंचकूला नगर निगम के मेयर कुलभूषण गोयल ने बताया कि सेक्टर 20 के श्मशान घाट में लगे गैस फायर चैंबर में एक शव के दाह संस्कार करने में करीब पांच हजार का खर्च आता है, जबकि लकड़ी मात्र 3500 रुपए की लगती है। उन्होंने कहा कि ऑपरेटर और बिजली का खर्च अलग से है। उन्होंने कहा कि लोग अगर इसकी डिमांड करेगें तो इसे चालू कर दिया जाएगा।

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