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61 शहरों में बंदरों का आतंक, पकड़ने की मुहिम शुरू

अभी तक 34 शहरों से 41 हजार 152 बंदर पकड़ कर जंगलों में छोड़े
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दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू

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चंडीगढ़, 5 अप्रैल

हरियाणा के 61 शहरों के लोग बंदरों के आतंक से परेशान हैं। राह चलती महिलाओं व बच्चों को काटने ही नहीं बल्कि सामान छीनकर भागने के दर्जनों मामले सामने आ चुके हैं। समालखा, झज्जर, सोनीपत सहित कई शहरों में लोगों ने बंदरों के आतंक से बचने के लिए घरों में लोहे के जाल भी लगवा रखे हैं। इसके बाद भी बंदरों की धमाचौकड़ी कम नहीं हो रहा है। स्थानीय निकायों – नगर निगमों, नगर परिषदों व नगर पालिकाओं द्वारा बंदरों को पकड़ने में ढिलाई की वजह से भी परेशानी बढ़ी है।

निकायों द्वारा बंदरों को पकड़ने के लिए प्राइवेट लोगों/एजेंसियों को भी हायर किया जाता है। हालांकि पिछले कुछ महीनों में निकायों द्वारा 34 शहरों से 41 हजार 152 बंदरों को पकड़ कर शहर से बाहर जंगलों में छुड़वाया गया है। सरकार की मानें तो अंबाला, अंबाला सदर, बराड़ा, नारायणगढ़, समालखा, रतिया, टोहाना, भूना, नारनौंद, उकलाना मंडी, घरौंडा, तरावड़ी, कनीना, अटेली मंडी, पुन्हाना, हथीन, ऐलनाबाद, कालांवाली, सिरसा व गन्नौर सहित 26 शहरों को मंकी-फ्री किया जा चुका है।

वहीं नागरिकों का कहना है कि कुछ दिन राहत मिलती है, लेकिन बंदर फिर से लौट आते हैं। इतना ही नहीं, कई बार तो बंदर झुंडों में आते हैं। लोगों का घरों की छतों पर चढ़ना भी मुश्किल हो गया है। भिवानी, लोहारू, गुरुग्राम, मानेसर, पटौदी, बरवाला, हांसी, हिसार, बेरी, झज्जर, जींद, जुलाना, नरवाना, कैथल, कलायत आदि शहरों में बंदर समस्या बन चुके हैं।

"लोगों की परेशानी बढ़ी हुई है। बंदरों द्वारा बच्चों, महिलाओं व बुजुर्गों पर हमला करने के कई मामले सामने आ चुके हैं। प्रदेश के कई शहरों में बंदरों का आतंक इतना बढ़ गया है कि बच्चों को घरों से निकलने में भी डर लगता है।"  

-आफताब अहमद, नूंह विधायक

"हां, यह बात सही है कि प्रदेश के 61 शहर बंदरों के आतंक का सामना कर रहे हैं। सभी निकायों को बंदरों को पकड़ कर उपयुक्त जगह/वन क्षेत्रों में पुनर्वासित करने के निर्देश दिए हैं। निकायों द्वारा 41 हजार 152 बंदरों को पकड़ कर जंगलों में छोड़ा गया है।"

-विपुल गोयल, शहरी स्थानीय निकाय मंत्री

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