दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 17 मार्च
मुख्यमंत्री विवाह शगुन योजना के तहत अनुसूचित जाति व पिछड़ा वर्ग की बेटियों को समय पर आर्थिक मदद नहीं मिलती। सरकार का जोर इस बात पर रहता है कि शगुन की राशि विवाह से कुछ दिन पहले या शादी के मौके पर मिले, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के चलते उन्हें यह पैसा काफी देरी से मिलता है। इस मामले में अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के मंत्री डॉ़ बनवारी लाल के गृह जिला रेवाड़ी की स्थिति बेहद खराब है।
पिछले दो वर्षों (2020-21) और (2021-22) के आंकड़ों पर नज़र डालें तो पता चला कि 75 हजार से अधिक बेटियों ने ‘शगुन’ के लिए आवेदन किया था। वर्ष 2020 में यह आंकड़ा 39 हजार था, 2021 में 36 हजार आवेदन आए। 2020 में केवल 7 हजार बेटियों को ही विवाह के मौके या इससे पहले शगुन का पैसा मिला। वर्ष-2021 में भी 7 हजार से कुछ अधिक संख्या में ही बेटियों को यह पैसा समय से पहले मिला।
गौर हो कि अनुसूचित जाति की बेटियों को 71 हजार रुपये का शगुन मिलता है। विभिन्न श्रेणियों को 51 और 31 हजार रुपये का भी शगुन दिया जाता है। पिछले दिनों सरकार ने विभाग के अधिकारियों को हिदायतें दी थी कि शगुन का पैसा विवाह से पहले या शादी वाले दिन उसके परिवारों को मिल जाये, ताकि यह पैसा विवाह में उनके काम आ सके।
2021 में अम्बाला टॉप पर
वर्ष-2021 में शगुन राशि समय से पहले देने के मामले में अंबाला जिला टॉप पर रहा। इस दौरान अम्बाला में 885 बेटियों को मदद प्रदान की गई। पलवल में एक भी केस नहीं निपटाया गया, वहीं दादरी में 11 बेटियों की मदद कई गई और वह प्रदेश में सबसे नीचे रहा। इस साल भिवानी में 163, फरीदाबाद में 170, फतेहाबाद में 286, गुरुग्राम में 460, हिसार में 288, झज्जर में 494, जींद में 379, कैथल में 350, करनाल में 487, कुरुक्षेत्र में 817, नूंह में 117, नारनौल में 161, पंचकूला में 32, पानीपत में 334, रेवाड़ी में 153, रोहतक में 156, सिरसा में 550, सोनीपत में 556 तथा यमुनानगर में 575 बेटियों को समय से पहले मदद मिली।
”अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग व अन्य वर्गों के गरीब परिवारों में बेटियों के विवाह पर आर्थिक मदद के लिए मुख्यमंत्री विवाह शगुन योजना काफी मददगार है। अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे आवेदनों पर तुरंत कार्रवाई करें और विवाह से पहले शगुन पहुंचाना सुनिश्चित करें।”
-डॉ़ बनवारी लाल, कैबिनेट मंत्री
”एससी-बीसी और गरीब परिवारों की बेटियों के लिए बनाई यह योजना अधिकारियों की लापरवाही के चलते सिरे नहीं चढ़ पा रही। आवेदन के बाद भी कई-कई माह तक परिवारों को शगुन राशि नहीं मिलती। उन्हें अधिकारियों के चक्कर काटने पड़ते हैं। गरीब परिवारों को अगर विवाह से पहले आर्थिक मदद मिले तो इसका लाभ हो सकता है।”
-वरुण चौधरी, मुलाना विधायक
4 जिलों में हुई अनदेखी
वर्ष-2020-21 में झज्जर, करनाल, नारनौल व पलवल में विवाह के मौके या पहले राशि नहीं दी गई। जबकि अम्बाला में 89, भिवानी में 15, दादरी में 54, फरीदाबाद में 118, फतेहाबाद में 509, गुरुग्राम में 714, हिसार में 450, जींद में 324, कैथल में 359, कुरुक्षेत्र में 773, नूंह में 496, पंचकूला में 28, पानीपत में 443, रेवाड़ी में 41, रोहतक में 2, सिरसा में 793, सोनीपत में 291 तथा यमुनानगर में 1806 बेटियों को इस साल विवाह के मौके पर या इससे पहले शगुन राशि मिली।