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नायब की पंजाब में सक्रियता से नाराज है ‘मान’ सरकार!

पंजाब में 2027 में होने विधानसभा चुनाव, आप के लिए इस बार बड़ी चुनौती
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मुख्यमंत्री नायब सैनी।
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भाजपा हाईकमान ने बीसी वोट बैंक साधने के लिए नायब की लगाई ड्यूटी

भगवंत मान के गृह जिले के सरपंचों के साथ भी बैठक कर चुके नायब सैनी

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दिनेश भारद्वाज

ट्रिब्यून न्यूज सर्विस

चंडीगढ़, 1 मई। हरियाणा और पंजाब के बीच पानी के मुद्दे पर बना ताजा टकराव केवल पानी से जुड़ा नहीं है। इसकी जड़ में राजनीतिक वजहें भी हैं। ये कारण हैं 2027 में होने वाले पंजाब विधानसभा के आमचुनाव हैं। पंजाब में अभी तक बैसाखियों के सहारे रही भाजपा अब हरियाणा की तर्ज पर पंजाब में भी अपने बूते सरकार बनाने के मंसूबे पाल चुकी है। भाजपा द्वारा ग्राउंड पर इसके लिए काम भी शुरू किया जा चुका है।

पंजाब में बड़े बीसी वोट बैंक को साधने की जिम्मेदारी भाजपा ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को सौंपी है। हरियाणा के सात जिले – पंचकूला, अंबाला, कैथल, कुरुक्षेत्र, जींद, सिरसा व फतेहाबाद पंजाब से सटे हुए हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की सुसराल भी कुरुक्षेत्र जिला में है। हरियाणा में 2014 के विधानसभा चुनावों के पहले तक भाजपा कभी अपने बूते सत्ता में नहीं आ पाई थी। 2014 के लोकसभा चुनाव भी भाजपा ने हरियाणा जनहित कांग्रेस (हजकां) के साथ मिलकर लड़ा था।

हालांकि इसके बाद अक्तूबर-2014 का विधानसभा चुनाव भाजपा ने अपने बूते पर लड़ा और 47 सीटों पर जीत हासिल कर पहली बार पूर्ण बहुमत से सत्ता हासिल की। इसके बाद 2019 और अब 2024 में लगातार तीसरी बार जीत हासिल कर भाजपा ने स्पष्ट कर दिया है कि उसकी जड़ें काफी गहरी हैं। भाजपा का अगला टारगेट अब पंजाब के विधानसभा चुनाव है। पंजाब के चुनावों को लेकर प्रदेश यूनिट ही नहीं, पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व भी माइक्रो मैनेजमेंट के तहत काम कर रहा है।

इसी के तहत मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी लगातार पंजाब में कार्यक्रम करने शुरू कर चुके हैं। माना जा रहा है कि पंजाब की मान सरकार को नायब सैनी की पंजाब में सक्रियता रास नहीं आ रही है। राजनीतिक हलकों में यह चर्चा है कि दोनों राज्यों के बीच पानी आपूर्ति को लेकर नहीं बल्कि राजनीतिक विवाद है। दिल्ली की सत्ता से बाहर होने के बाद अब आम आदमी पार्टी के पास केवल पंजाब ही बचा है। भाजपा ने दिल्ली में आप को सत्ता से बाहर करके सत्ता संभाली है।

हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी पंजाब में भाजपा को खड़ा करने में लगे हुए हैं। इसकी शुरूआत उन्होंने 12 जनवरी को उस समय की जब वह पंजाब भाजपा कार्यालय पहुंचे और सदस्यता अभियान का जायजा लिया। यहां नायब सैनी ने पंजाब के लुधियाना, जालंधर व अन्य जिलों में भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने वाले आम लोगों से बातचीत की। पंजाब के राजनीतिक दलों ने नायब सैनी के इस दौरे को गंभीरता से नहीं लिया लेकिन भाजपा के नेता पंजाब में नायब सैनी के लिए मैदान तैयार करने में जुटे रहे।

नतीजतन, 23 मार्च को नायब सैनी ने पंजाब में उस समय बड़ा धमाका किया, जब वे भगवंत मान के पुराने संसदीय क्षेत्र यानी उनके गृह जिला संगरूर में जा पहुंचे। यहां 15 गांवों के सरपंच सीएम आवास पर मिलने के लिए पहुंचे। उनकी मांग पर नायब सैनी ने दो दिन के भीतर जींद से पटियाला के लिए हरियाणा रोडवेज की बस चलवाई। पंजाब के सरपंचों के कहने पर केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को पत्र लिख श्रीगंगानगर-नांदेड़ एक्सप्रेस और सरबत दा भला एक्सप्रेस को धमतान साहिब में रोकने का अनुरोध किया।

यहीं से पंजाब व हरियाणा के बीच विवाद की शुरूआत हुई थी। पंजाब में पिछले कई माह से ग्रेनेड हमले हो रहे हैं। पंजाब भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री मनोरंजन कालिया के आवास पर ग्रेनेड हमले के अगले दिन नायब सैनी आठ अप्रैल को जालंधर पहुंचे और उनसे मुलाकात की। नायब सैनी ने जालंधर में कई मीडिया हाउस का भी दौरा किया। जालंधर में नायब सैनी ने करीब आधा दर्जन स्थानों पर हुए कार्यक्रमों में भाग लिया। ग्रामीणों से भी मिले। बदले हुए घटनाक्रम में 13 अप्रैल को बैसाखी के मौके पर नायब सैनी ने श्री आनंदपुर साहिब पहुंचकर तख्त श्रीकेसगढ़ साहिब में माथा टेका।

20 अप्रैल को नायब सैनी ने मोहाली के जीरकपुर में आम आदमी पार्टी समर्थित पांच पार्षदों को भाजपा में शामिल कराया। 25 अप्रैल को पंजाब के मशहूर गायक गुरदास मान ने नायब सैनी से मुलाकात की। इसके बाद हिसार में गुरदास मान का कार्यक्रम हुआ। 26 अप्रैल को सैनी ने मोहाली के डेराबस्सी में एक रैली को संबोधित किया। जहां उन्होंने ऐलान किया कि पंजाब में भाजपा की सरकार बनते ही हरियाणा की तर्ज पर सभी फसलों को एमएसपी पर खरीदा जाएगा। नायब सैनी की पंजाब में लगातार बढ़ रही सक्रियता पिछले कई दिनों से राजनीति में चर्चा का विषय बनी हुई है।

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