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हथिनीकुंड बैराज में लीकेज, नींव को खतरा

मुंबई से आई विशेषज्ञों की टीम बहते पानी में कर रही मरम्मत कार्य
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यमुनानगर स्थित हथिनीकुंड बैराज का जायजा लेते अधिकारी। -हप्र
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सुरेंद्र मेहता/हप्र

यमुनानगर, 7 जून

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हथिनीकुंड बैराज के गेट नंबर आठ में लीकेज हो रही है, जिस वजह से गेट क्षतिग्रस्त हो सकता है। लीकेज की वजह से नींव को खतरा भी हो गया है। विशेषज्ञों की टीम लीकेज को रोकने का प्रयास कर रही है।

बैराज कभी दिल्ली हरियाणा में बाढ़ की स्थिति आने, कभी दिल्ली को कम पानी सप्लाई होने को लेकर चर्चा में रहता है। बैराज पर स्टड ठीक करने का काम चल रहा है।

तभी गेट नंबर 8 की लीकेज का पता चला। इसके बाद विभाग ने इसे ठीक करवाने के लिए मुंबई के विशेषज्ञों की टीम से संपर्क किया।

यमुनानगर स्थित हथिनीकुंड बैराज की मरम्मत के लिए पानी में उतरता इंजीनियर। -हप्र

इसे ठीक करने के लिए टीम को 49 लाख रुपए का ठेका दिया गया है। टीम पिछले पांच दिनों से यहां मरम्मत कार्य कर रही है। इस दौरान यहां बैराज के नीचे पानी के अंदर बनाए गए लेप से पानी की लीकेज को रोकने का प्रयास किया जा रहा है।

बहरहाल मुंबई की टीम ने इस कार्य को पूरी तरह से ठीक करने के लिए सिंचाई विभाग से 15 दिन का समय मांगा है। मानसून से पूर्व इस लीकेज को ठीक करना पड़ेगा।

सिंचाई विभाग के कार्यकारी अभियंता विजय गर्ग ने बताया कि जैसे ही बैराज में गेट के नीचे लीकेज का पता चला, सिंचाई विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित किया गया। इसके बाद विभाग के चीफ इंजीनियर, सेफ्टी ऑफिसर सहित अन्य अधिकारियों ने मौके का दौरा किया और तुरंत इसकी लीकेज ­बंद करवाने के लिए आदेश दिए। इसके बाद मुंबई की एजेंसी को ठेका दिया गया।

अभी तक 50 प्रतिशत लीकेज को रोकने में सफलता हासिल कर ली है। उन्होंने बताया कि विशेषज्ञ पानी के अंदर 8 से 10 फीट तक चलते पानी में काम कर रहे हैं।

24 साल से आ रही खराबी

ताजेवाला हेड वर्कर्स का निर्माण 1873 में हुआ था, जबकि वह 1998 में आई बाढ़ के कारण बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुआ। यानी उसने 125 वर्षों तक अपनी सेवाएं दी जबकि ताजेवाला हेड वर्कर्स के स्थान पर बना हथिनीकुंड बैराज मात्र 24 वर्षों में ही कई बार दिक्कत पैदा कर चुका है। कभी हथिनीकुंड बैराज का रिवर बेड नीचे चला जाता है कभी उसके आसपास स्टड डैमेज हो जाते हैं।

तीन प्रदेशों से लगती है सीमा

बैराज की सीमाएं कई राज्यों से लगती हैं। इनमें हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड का कुछ हिस्सा शामिल है। बैराज का निर्माण 1996 से 1999 के बीच हुआ था। बैराज से पहले यमुना पर ताजेवाला हेड था। जिसका निर्माण 1873 में किया गया था। हालांकि यह अब सेवा में नहीं है। ताजेवाला हेड से ही यमुना के पानी का बंटवारा होता था।

अब यमुना के पानी का बंटवारा हथिनीकुंड बैराज से होता है। बैराज से ताजेवाला हेड की दूरी लगभग 3-4 किमी है। बैराज से यमुना नदी में पानी छोड़े जाने के लगभग 72 घंटे बाद पानी दिल्ली में दाखिल हो जाता है।

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