Tribune
PT
About Us Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

नेताओं में बढ़ी बेचैनी, मौन मतदाताओं ने उड़ाए होश

दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू चंडीगढ़, 25 मई हरियाणा के मतदाताओं ने राजनीतिक दलों की धड़कनें बढ़ा दी हैं। प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा, प्रमुख विपक्षी दल – कांग्रेस, जजपा, इनेलो सहित कई राजनीतिक दलों ने चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंकी हुई थी।...
  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
Advertisement
दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू

चंडीगढ़, 25 मई

हरियाणा के मतदाताओं ने राजनीतिक दलों की धड़कनें बढ़ा दी हैं। प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा, प्रमुख विपक्षी दल – कांग्रेस, जजपा, इनेलो सहित कई राजनीतिक दलों ने चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंकी हुई थी। शनिवार को उनका इम्तिहान पूरा हो गया। इस बार मतदताओं की चुप्पी ने राजनीतिक दलों और नेताओं काे भरपूर टेंशन  दी। इस साइलेंट वोटर की अहम भूमिका रहेगी।
हालांकि इस बार कई वर्ग ऐसे भी थे, जो काफी मुखर थे लेकिन चुप्पी साधकर रखने वाले मतदाताओं का बड़ा हिस्सा था। मतदाताओं की यह चुप्पी शुरू से ही राजनीतिक दलों के लिए परेशानी बनी हुई थी। मतदान के दौरान साइलेंट मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल भी चुपचाप ही किया। बिना किसी शोर-शराबे के वे मतदान केंद्र तक पहुंचे और अपना वोट डालकर चले गए। साइलेंट वोटरों को भाजपा के लिए बड़ी ताकत माना जा रहा है।
यह बात भाजपा के रणनीतिकार शुरू से ही कहते आ रहे थे कि साइलेंट वोटर जीत-हार में मुख्य भूमिका अदा करेंगे। इससे पहले 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान भी कुछ जगहों पर भाजपा उम्मीदवारों का विरोध हुआ था। हालांकि बाद में जब नतीजे आए तो विरोध झेलने वाले उम्मीदवार ही तीन से चार लाख तक के मार्जन से चुनाव जीते। उन्हें जीत दिलाने में सबसे बड़ी भूमिका साइलेंट वोटर की ही रही। इस बार भी भाजपा प्रत्याशियों को गांवों में वर्ग विशेष के विरोध को झेलना पड़ा। रोहतक, भिवानी-महेंद्रगढ़, हिसार, सिरसा, कुरुक्षेत्र, करनाल व सोनीपत आदि जगहों पर ग्रामीण इलाकों में कुछ जगहों पर भाजपा प्रत्याशियों का विरोध किया गया। ऐसा माना जाता है कि विरोध की संस्कृति के रिजल्ट हमेशा उलट आते हैं। विरोध करने वालों की संख्या कम होती है जबकि विरोध को गलत ठहराने वालों का आंकड़ा अधिक होता है। यह भी कह सकते हैं कि जो साइलेंट वोटर हैं, वे उसी कैटेगरी में आते हैं, जो विरोध के खिलाफ रहते हैं। हालांकि वे उस समय कुछ नहीं बोलते, लेकिन बाद में अपना काम कर जाते हैं।
राज्य के अधिकांश लोकसभा क्षेत्रों में ग्राउंड जीरो के दौरान भी यह बात स्पष्ट तौर पर नज़र आई कि गांवों में पिछड़ा वर्ग सहित कई ऐसे वर्ग हैं, जो पूरी तरह से चुप्पी साधे हुए हैं। पिछड़ा वर्ग को भाजपा का बड़ा वोट बैंक माना जाता है। इसी तरह से सामान्य वर्ग की भी कई ऐसी जातियां हैं, जो चुनाव प्रचार के दौरान चुप्पी ही साधकर रखती हैं लेकिन मतदान के समय वे वोट की चोट करती हैं। इस बार के लोकसभा चुनाव में भी साइलेंट वोटरों की संख्या काफी अधिक नज़र आई।
सत्तारूढ़ भाजपा को लगता है कि साइलेंट वोटर उनके ही हक में हैं। भाजपाई इस बात को लेकर भी आश्वस्त हैं कि साइलेंट वोटरों के समर्थन के सहारे ही वे अच्छे अंतर से जीत हासिल करेंगे। वहीं दूसरी ओर, कांग्रेस की यह दलील है कि सरकार से नाराज मतदाताओं ने चुप्पी साधी हुई थी। मतदान के समय उन्होंने सरकार के प्रति अपना गुस्सा निकाला है। बेशक, दस वर्षों की सरकार के प्रति एंटी-इन्कमबेंसी होना स्वाभाविक भी है। लेकिन एक बड़ा वर्ग ऐसा भी है, जो मोदी के नाम पर वोट देता है। मालूम हो, भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनावों में हरियाणा में इतिहास रचा था। प्रदेश में लोकसभा की सभी दस सीटों पर जीत हासिल की थी।
''इस बार भाजपा के खिलाफ जबरदस्त माहौल बना हुआ था। केंद्र व राज्य सरकार की नीतियों से समाज का हर वर्ग परेशान था। कांग्रेस ने संविधान और लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई लड़ी। मतदाता पूरी तरह से मुखर थे। मुझे पूरा भरोसा है कि साइलेंट वोटर भी पूरी तरह से कांग्रेस के साथ गए हैं।''  
-जितेंद्र भारद्वाज, कांग्रेस के कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष 
''केंद्र की मोदी और हरियाणा सरकार की नीतियों के प्रति लोगों में उत्साह देखने को मिला। भाजपा 2019 का इतिहास दोहराएगी और एक बार फिर लोकसभा की सभी दस सीटों पर रिकार्ड अंतरों से जीत हासिल करेगी। साइलेंट वोटर ही नहीं, समाज का हर वर्ग भाजपा के साथ है। देश के लोगों ने कांग्रेस और इंडी गठबंधन को सिरे से नकारने का काम किया है।''
-अजय गौड़, सीएम के पूर्व राजनीतिक सचिव

उम्र न रोक पाई चुनाव पर्व की उमंग

चरखी दादरी के गांव कादमा निवासी 107 वर्षीय अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी रामबाई ने अपने गांव कादमा के खेतों में स्थित घर से पैदल चलकर परिवार के साथ मतदान किया।
चरखी दादरी के गांव ढाणी फोगाट निवासी 102 वर्षीय घोघड़ी देवी वोट डालने के बाद। फोटो एवं विवरण। -हप्र
Advertisement
Advertisement
×