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नेता प्रतिपक्ष : कांग्रेस से नहीं आया जवाब, अब कानूनी राय लेगी सरकार

मुख्य सचिव की ओर से प्रदेशाध्यक्ष को भेजे जा चुके कई रिमाइंडर

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दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू

चंडीगढ़, 17 मई

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कांग्रेस की देरी की वजह से हरियाणा की नायब सरकार की कई संवैधानिक नियुक्तियां अधर में लटक गई हैं। मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी की ओर से कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष चौ़ उदयभान को इस संदर्भ में पिछले महीने पत्र भी लिखा गया था। पत्र का जवाब नहीं आने के बाद मुख्य सचिव कार्यालय की ओर से कांग्रेस प्रधान को कई बार रिमाइंडर भी भेज जा चुके हैं। अब सरकार इस बाबत कानूनी राय लेनी ताकि बिना नेता प्रतिपक्ष के संवैधानिक पदों पर भर्ती प्रक्रिया को पूरा किया जा सके।

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वहीं दूसरी ओर, कांग्रेस से जुड़े सूत्रों का कहना है कि मुख्य सचिव की चिट्ठी और रिमाइंडर को प्रदेश कांग्रेस की ओर से पार्टी के हरियाणा मामलों के प्रभारी बीके हरिप्रसाद के पास भेजा जा चुका है। यानी गेंद फिर से कांग्रेस हाईकमान के पाले में है। मुख्य सचिव की ओर से पत्र में कहा गया है कि कांग्रेस विधायक दल का फैसला होने तक पार्टी की ओर से किसी भी वरिष्ठ विधायक के नाम की सिफारिश की जाए ताकि उसे चयन समिति में नेता प्रतिपक्ष की जगह बतौर सदस्य शामिल किया जा सके।

संख्याबल के हिसाब से हरियाणा में कांग्रेस मुख्य विपक्षी दल है। ऐसे में नेता प्रतिपक्ष भी कांग्रेस से ही बनना है। संवैधानिक पदों पर नियुक्तियों के लिए मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में चयन समिति का गठन होता है। इस कमेटी में सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री के अलावा नेता प्रतिपक्ष को सदस्य के रूप में शामिल किया जाना अनिवार्य है। लेकिन कांग्रेस ने अभी तक विधायक दल के नेता का ही फैसला नहीं किया है।

देरी के पीछे गुटबाजी बड़ा कारण

सीएलपी लीडर का फैसला नहीं होने के पीछे सबसे बड़ा कारण कांग्रेस की आपसी खींचतान और गुटबाजी है। 2019 से 2024 तक पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा नेता प्रतिपक्ष रहे। अक्तूबर-2014 में विधानसभा चुनाव के नतीजे आ गए थे लेकिन कांग्रेस ने अभी तक भी विधायक दल के नेता का फैसला नहीं किया है। बताते हैं कि एंटी हुड्डा खेमा इस बार हुड्डा या उनके किसी करीबी को सीएलपी बनाए जाने के पक्ष में नहीं है। विधायक दल के साथ-साथ प्रदेशाध्यक्ष पद का फैसला भी होना है। इस वजह से भी देरी हो रही है।

खाली पड़ा सूचना आयोग

राज्य सूचना आयोग में सूचना आयुक्त के अलावा सूचना आयुक्तों के सात पद खाली पड़े हैं। इन पदों को भरने की प्रक्रिया सरकार शुरू कर चुकी है। मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली सर्च कमेटी आवेदनों की छंटनी करके तीन-तीन नाम के पैनल सभी पदों के लिए बना चुकी है। अब ये पैनल सीएम की अध्यक्षता वाली चयन समिति के पास जाएंगे। नेता प्रतिपक्ष नहीं होने की वजह से चयन समिति भी अधूरी है। इसी तरह से पांच यूनिवर्सिटी में वीसी (कुलपति) के पदों पर भर्ती के लिए भी आवेदन मांगे जा चुके हैं। नेता प्रतिपक्ष नहीं होने की वजह से कुलपतियों की नियुक्ति भी अधर में लटकी है।

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