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तीन के फेर में जींद के तीन हलके

जसमेर मलिक/हप्र जींद, 11 सितंबर जींद जिले के जींद, जुलाना और सफीदों 3 विधानसभा क्षेत्र 3 के अंक के फेर में ऐसे उलझे हुए हैं कि इससे प्रत्याशियों को डर लगता है। तीन के अंक का यह इतिहास या यूं...
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रानी तालाब जींद
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जसमेर मलिक/हप्र

जींद, 11 सितंबर

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जींद जिले के जींद, जुलाना और सफीदों 3 विधानसभा क्षेत्र 3 के अंक के फेर में ऐसे उलझे हुए हैं कि इससे प्रत्याशियों को डर लगता है। तीन के अंक का यह इतिहास या यूं कहें रिकॉर्ड इस बार जींद और सफीदों विधानसभा क्षेत्र में दांव पर लगा हुआ है। इन दोनों हलकों में या तो यह रिकॉर्ड टूटेगा या फिर इसे तोड़ने की चाहत में चुनावी दंगल में उतरे प्रत्याशी खुद इतिहास बन जाएंगे।

जींद विधानसभा क्षेत्र

बच्चन सिंह आर्य

जींद विधानसभा क्षेत्र से आज तक कोई भी प्रत्याशी लगातार 3 बार विधायक नहीं बना है। लगातार दो बार जींद से विधायक बनने का रिकॉर्ड बाबू दया किशन, पूर्व मंत्री मांगेराम गुप्ता और पूर्व विधायक डॉ हरिचंद मिड्ढा के नाम है। यह तीनों स्वर्गीय हो चुके हैं। इनके अलावा जींद से दो बार विधायक बनने का रिकॉर्ड पूर्व मंत्री बृजमोहन सिंगला के नाम है, जो स्वर्ग सिधार चुके हैं। जींद के वर्तमान विधायक डॉ कृष्ण मिड्ढा भी लगातार दो बार जींद से विधायक बन चुके हैं। वह एक ही साल में दो बार विधायक बने।

डॉ. कृष्ण मिड्ढा

पहली बार जनवरी 2019 में उनके पिता के निधन से खाली हुई जींद विधानसभा सीट पर हुए उप-चुनाव में डॉ. कृष्ण मिड्ढा ने बीजेपी टिकट पर जीत दर्ज की थी। इसके बाद अक्तूबर 2019 में हुए आम चुनाव में मिड्ढा फिर लगातार दूसरी बार जींद से भाजपा टिकट पर विधानसभा में पहुंचे थे। अब बीजेपी ने मिड्ढा को जींद से फिर प्रत्याशी बनाया है। पांच अक्तूबर को होने वाले विधानसभा चुनाव में मिड्ढा जीत हासिल करते हैं, तो फिर वह जींद से लगातार तीसरी बार विधायक बनने का होगा। इस बार वह जीते तो वह जींद के दूसरे तमाम पूर्व विधायकों से आगे निकल जाएंगे। उनके चुनावी दंगल में आने से जींद का वह इतिहास और रिकॉर्ड दांव पर है, जिसमें आज तक कोई लगातार तीन बार विधायक नहीं बना। अगर मिड्ढा जींद से इस बार चुनाव हार जाते हैं, तो फिर वह खुद इतिहास बन जाएंगे।

सफीदों विधानसभा क्षेत्र

नागक्षेत्र सफीदों

सफीदों विधानसभा क्षेत्र में भी 3 के अंक का बहुत बड़ा पेंच है। इस विधानसभा क्षेत्र से आज तक कोई भी तीसरी बार विधायक नहीं बना है। पूर्व विधायक रामफल कुंडू, पूर्व मंत्री बच्चन सिंह आर्य दो- दो बार सफीदों से विधायक बने हैं। 1996 और 2000 में लगातार दो बार सफीदों से विधायक बनने वाले रामफल कुंडू 2005 में चुनाव हार गए थे। 1991 में कांग्रेस टिकट पर और 2005 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में बच्चन सिंह आर्य सफीदों से विधायक बने, लेकिन उसके बाद वह विधायक नहीं बन पाए।

बच्चन सिंह आर्य को 2009, 2014 और 2019 लगातार तीन विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है। इस बार वह सफीदों से बीजेपी टिकट के दावेदार थे, लेकिन टिकट नारनौंद के पूर्व विधायक रामकुमार गौतम को मिली और बच्चन सिंह आर्य ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन दाखिल कर दिया है। उनके नामांकन दाखिल करने के साथ सफीदों में भी 3 के अंक का पेंच फंस गया है। अगर बचन सिंह आर्य चुनाव हारते हैं, तो वह खुद इतिहास बन जाएंगे और उनके माथे पर लगातार चौथी हार का ऐसा बदनुमा दाग लग जाएगा, जिसे मिटाना आसान नहीं होगा। उनका मुकाबला कांग्रेस के वर्तमान विधायक सुभाष गांगोली से है। निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में बच्चन सिंह आर्य की दाल गलना मुश्किल नजर आता है। इसके बावजूद अगर बचन सिंह आर्य चुनाव जीते हैं, तो वह सफीदों का वह रिकॉर्ड तोड़ देंगे, जिसमें आज तक सफीदों से कोई तीसरी बार विधायक नहीं बना है।

जुलाना विधानसभा क्षेत्र

जुलाना विधानसभा क्षेत्र भी ऐसा है, जहां से कोई तीसरी बार विधायक नहीं बना है। जुलाना विधानसभा क्षेत्र से 1982 और 1987 में लगातार दो बार लोकदल टिकट पर कुलबीर मलिक विधायक बने, लेकिन 1996 में कुलबीर मलिक की कांग्रेस टिकट पर जुलाना में जमानत जब्त हुई। वह 2000 वोट मुश्किल से ले पाए थे। साल 2000 और 2005 में जुलाना से लगातार दो बार कांग्रेस के आईजी शेर सिंह विधायक बने, लेकिन 2009 में उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा। 2009 और 2014 में जुलाना से इनेलो टिकट पर लगातार दो बार विधायक बने प्रमेंद्र ढुल 2019 में बीजेपी की टिकट पर जेजेपी के अमरजीत ढांडा से चुनाव हार गए थे। जुलाना के मतदाताओं ने आज तक किसी को तीसरी बार विधानसभा में नहीं भेजा है। इस बार जुलाना के चुनावी दंगल में अभी तक ऐसा कोई प्रत्याशी नहीं आया है, जो दो बार विधायक बना हो। इस कारण जुलाना का किसी को तीसरी बार विधानसभा में नहीं भेजने का रिकॉर्ड बरकरार रहता नजर आ रहा है।

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